Tuesday, 3 August 2021

CBSE CLASS X RESULTS 2021 सीबीएसई 10th बोर्ड एग्जाम रिजल्ट् 2021 चेक करे

CBSE CLASS X BOARD EXAM.RESULTS 2021 
  Dear friends हम आपको बता दे कि अब आपकी उम्मीद की घड़ी समाप्त हो गया है।आपका क्लास10th का Results CBSE- Delhi Board ने घोोषणा कर दिया है। आपका result 3 August 2021 को CBSE- Delhi ने घोषणा कर दिया है।आप अपना परिणाम नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर के देेेख सकते हैं।

दोस्तों हमें यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रहा है।  की अब आपका इंतिजार का पल ख़त्म हो गया आखिर आपका ख़ुशी का पल आ ही गया।  दोस्तों आपको बहुत दिनों से आपके 10 बोर्ड परिणाम का इंतजार था।  

 आपका परिणाम आप cbse के official वेबसाइट में जा कर देख सकते है और मेरे द्वारा निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के डायरेक्ट भी देख सकते है। आपको अपना परिणाम देखने के लिए सबसे पहले आपको अपना रोल नंबर और स्कूल नंबर जानना होगा। 

अगर आपको अपना रोल नंबर अभी तक पता नहीं है तो निचे दिए गए लिंक रोल नंबर फाइंडर पर क्लिक करे और अपना रोल नंबर find करे। उसके बाद school नंबर आप अपने स्कूल से प्राप्त कर सकते है

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Saturday, 31 July 2021

CBSE CLASS XII RESULTS 2021 सीबीएसई 12th बोर्ड एग्जाम रिजल्ट् 2021 चेक करे

 CBSE CLASS XII RESULTS 2021 सीबीएसई 12th बोर्ड एग्जाम रिजल्ट् 2021 चेक करे 


दोस्तों हमें यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रहा है।  की अब आपका इंतिजार का पल ख़त्म हो गया आखिर आपका ख़ुशी का पल आ ही गया।  दोस्तों आपको बहुत दिनों से आपके 12 बोर्ड परिणाम का इंतजार था।  

आपका 12th बोर्ड का रिजल्ट cbse delhi board ने ३० जुलाई 2021 को घोषित कर दिया है। आपका परिणाम आप cbse के official वेबसाइट में जा कर देख सकते है और मेरे द्वारा निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के डायरेक्ट भी देख सकते है। आपको अपना परिणाम देखने के लिए सबसे पहले आपको अपना रोल नंबर और स्कूल नंबर जानना होगा। 

अगर आपको अपना रोल नंबर अभी तक पता नहीं है तो निचे दिए गए लिंक रोल नंबर फाइंडर पर क्लिक करे और अपना रोल नंबर find करे। उसके बाद school नंबर आप अपने स्कूल से प्राप्त कर सकते है। 

अपना परिणाम चेक करने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे उसके बाद     

आपको इस प्रकार का लिंक खुल जायेगा इसमें आप पहले अपना रोल नंबर भरे उसके बाद अपना स्कूल नंबर भरे और submit बटन पर क्लिक कर दे आपका रिजल्ट खुल जायेगा उसके बाद आप चाहे तो स्क्रीन शॉट ले या pdf  के रूप में आप save कर सकते है। 

नीचे दिए लिंक से जाने अपना परिणाम और रोल नंबर। ... 

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JAC INTERMEDIATE (12TH ) RESULTS 2021 झारखण्ड इंटर( science, Arts & Commerce ) रिजल्ट चेक करे

 JAC INTERMEDIATE (12TH ) RESULTS 2021 झारखण्ड इंटर( 12 ) रिजल्ट चेक करे 

झारखण्ड इण्टर रिजल्ट 2021 

दोस्तों हमें यह बताते हुए काफी ख़ुशी हो रही है की आपका इंतिजार का पल अब ख़तम हो गया है।  आपका इंटर यानि 12 th  बोर्ड का परिणाम घोषित कर दिया गया है।  दोस्तों हम आपको बता दे झारखण्ड के ऑफिसियल वेबसाइट JAC यानि jharkhand Academic Council , Ranchi ने आपके परिणाम 30 जुलाई 2021 को घोषित  दिया गया है।  


परिणाम कैसे चेक करे :- दोस्तों अपना परिणाम चेक करने के लिए सबसे पहले आप अपना रोल कोड और रोल नंबर अपने एडमिट कार्ड में देख ले। उसके बाद आप निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे। क्लिक करने पर आपको इस तरह का पेज खुल कर आएगा। 


इसमें सबसे पहले आप पहला ऑप्शन में अपना रोल कोड को डालें उसके बाद आप अपना रोल नंबर डालें  उसके बाद में आप submit बटन को टच करे आपका परिणाम खुल जायेगा उसके बाद आप चाहे तो इसका स्क्रीन शॉट या प्रिंट बटन पर क्लिक कर के pdf के रूप में save  भी कर सकते है और प्रिंट आउट भी निकल सकते है। 
दोस्तों मै  आपको अलग अलग लिंक निचे दे रहा हूँ यानि साइंस ,कॉमर्स और आर्ट्स का आपका जो भी सब्जेक्ट हो उसी लिंक पर क्लिक कीजियेगा जिससे आपको परिणाम चेक करने में कोई भी परेशानी नहीं होगा।  आपका परिणाम डायरेक्ट लिंक से खुल जायेगा। अगर किसी भी प्रकार से आपको चेक करने में परेशानी हो रही है तो आप कमेंट करे मै आपका मदद करूँगा। 

निचे का लिंक में क्लिक कर के अपना परिणाम चेक करे। 

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Thursday, 29 July 2021

JAC 10th & 12th BOARD RESULTS 2021 झारखंड बोर्ड10th और 12th रिजल्ट2021 चेक करें



JAC BOARD 10th & 12th RESULTS 2021 :- Hello dear friend we are Happy to inform you that Your JAC 10th & 12th Board results has declared today.Now your journey start towards your future.
1st of all you have to check your results by given below link check here.
Press the below blue colour check here & Enter your Roll code & Roll Number then click on submit button.



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दोस्तों आप ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक कर के अपना परिणाम चेक कर सकते है।  दोस्तों आपको  मेरे ओर से बहुत बहुत बधाई।  मै आपके सुन्दर  भविष्य का  मनोकामना करता हूँ।  अब आपका जीवन  का यात्रा शुरू हो गया है।  




Click on above link and download Your results.

Saturday, 24 July 2021

टेलीफोन(मोबाइल ) : टेलीफोन का इतिहास और विकास

 टेलीफोन(मोबाइल ) : टेलीफोन का इतिहास और विकास 



दोस्तों हम आपको बता दे की टेलीफोन आज के समय में संचार के सबसे ज्यादा और बेहतर रूप से प्रयोग होने वाला पहला उपकरण है।  संचार प्रौद्योगीकी में अब तक के सबसे महत्वपूर्ण उपकरण में से एक टेलीफ़ोन है।  इसके जरिए  आज हम पहाड़ो , महासागरों और दुनिया के सभी प्रकार के विपरीत स्थित में जुड़े होते है।  हम किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण जानकारी को जल्दी और बहुत ही कुशलता से दे सकते है और  पा सकते है।  इस संचार के साधन को आज इस प्रकार से मॉडिफाइड कर दिया जा रहा की हम बहुत ही काम स्थान और किसी भी जगह में ले जाने के लिए सक्षम हो रहे है।  अब सेल फ़ोन , स्मार्टफोन के साथ हम अपने मोबाइल फ़ोन से महत्वपूर डेटा भेज सकते है।किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी  को याद के लिए रख सकते है।  किसी भी फ़ोन से हटाया जानकारी को भी आज हम पौंआ प्राप्त करने में सक्षम है। चाहे हम आनंदित चीजों की बात करे या शिक्षा प्राप्त  करने की बता करे सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने में आज हम इस संचार के साधन से सक्षम है।  इसलिए उस मानव के बारे में हमें जानना बहुत महत्वपूर्ण है जिन्हों ने इस प्रकार के   अविष्कार किया है।    यानि हमें इसके इतिहास के बारे में जरूर जानना चाहिए। 




टेलीफोन की इतिहास क्यां है ?
इतिहास : इसके इतिहास को जानने के लिए हम इसके चरणों के द्वारा जानने कोशिश करते है ,यानि  पहली ,दूसरी और  अन्य प्रयासो  के अनुसार देखते है। .. 
पहला प्रयास : 1672 रॉबर्ट हुक ने 1672  में पहला ध्वनिक टेलीफोन बनाया।   बच्चे के बनाया खिलौना की तरह टू - सुप कैन   तरह , हुक ने पाया की ध्वनि एक तार या स्ट्रिंग पर एक तरफ एक मुख्यपत्र  एयरपीस तक भेजी जा सकती है।  रॉबर्ट हुक ने  पाया की दो तरफ कोई भी एक ही प्रकार के पदार्थ को एक स्ट्रिंग से बांध कर ध्वनि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक  पहुँचाया जा सकता है।  

टेलीफोन स्टेशन 


1838 :- सैमुअल बी मोर्स ने पाया की ध्वनि के एक पैटर्न को प्रसारित करने के लिए अंतराल में एक बटन दबाकर या जारी करके सन्देश को प्रसारित किया जा सकता है।  इसे मोर्स कोड के नाम से जाना जाता था।  
1858 :- साइरस फ़ील्ड  ने टेलीग्राफ द्वारा इंग्लैंड और यू.एस. को जोड़ने वाली पहली ट्रान्साटलांटिक टेलीफोन केबल बिछाने की मांग की।   अगस्त 1858 में पूरा होने से पहले इस परियोजना को असफलताओ का सामना करना पड़ा था।  

टेलीफोन का विकास 


1867 :- 1867 में समुद्र में पहली बार सिग्नल लैम्प के साथ डॉट्स और डैश फ्लैश किये गए थे।  यह विचार ब्रिटिश एडमिरल फिलिप कोलंब से आया था , जिन्होंने आर्थर सीडब्ल्यू एडिलस के सिग्नल लैम्प डिजाइन का इस्तेमाल किया था और अन्य जहाजों के साथ संवाद करने के लिए एक कोड तैयार किया था।  कोड काफी हद तक मोर्स कोड की जित हुई। 



Tuesday, 20 July 2021

टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी की खोज कैसे हुआ और किसने किस प्रकार से खोज किया।

 टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी की खोज कैसे हुआ और किसने किस प्रकार से खोज किया। 






टच स्क्रीन  :-   HOME || YouTube ||   WhatsApp  ||  Facebook  ||  POSTS  ||
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Hello dear friends "How are You " 
 दोस्तों आप सब लोगो को पता होगा की किस प्रकार से आज टेक्नोलॉजी का विकाश हो रहा है।  चाहे हम मोबाइल फ़ोन की बात करे या किसी भी प्रकार के मशीन की बात करे आज सभी चीजों में टच स्क्रीन का प्रयोग होने लगा है। इस टच स्क्रीन की बिकाश और वृदि से हमारा काम भी आसान होने लगा जो काम घंटो का समय लेता था वो भी अब मिंटो में होने लगा है।  हम आपको बता दे आज घर के लगभग सभी चीजे जो रेगुलर प्रयोग में आते है सभी में टच स्क्रीन सेंसर का प्रयोग होने लगा है।  आज घर के दरवाजे से लेकर किचन के इंडक्शन तक टच स्क्रीन के बदल गया है। 


टच स्क्रीन की विकास जानने से पहले मै आपको बता दू सिंपल भाषा में  स्क्रीन क्यां है।  जो आज हम सभी प्रकार के एंड्राइड फ़ोन प्रयोग करते है जिसको प्रयोग करने के लिए हमें अपने मोबाइल के स्क्रीन को टच करना पड़ता है। तभी मोबाइल फ़ोन ऑपरेट होता है जब तक स्क्रीन पर टच नहीं होता तब तक कोई भी ऑपरेशन काम नहीं करता है।  उसी प्रकार सभी तरह के डिवाइस में होता है जो स्क्रीन पर टच होने पर ही काम करता है। 


अंध बिश्वास - दोस्तों मै आपको बता दू की बहुत से लोगो का विश्वास होता है स्किन पर टच होने से ही टच स्क्रीन फ़ोन काम करता है लेकिन मै आपको बता दू स्क्रीन और स्किन दोनों ही एक अलग शब्द है और यह स्किन के अलावा दूसरे इलेक्ट्रिकल कंडक्टिंग डिवाइस से भी काम करता है।  इलेक्ट्रिकल सिग्नल से ही स्क्रीन टच मोबाइल काम करता है। टच स्क्रीन को चलने के लिए एलेक्ट्रियल सिग्नल जरुरी हो  जाती है।  टच स्क्रीन एक डिस्प्ले स्क्रीन है जो एक उंगली या स्टायलस के स्पर्श के प्रति संवेदनशील होती  है।  यह एटीएम मशीन , रिटेल पावर पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल , कार नेविगेशन सिस्टम , मेडिकल मॉनिटर , औद्योगिक नियंत्रण और आज कल लगभग सभी प्रकार के डिवाइस में प्रयोग होने लगा है।  2007 में apple द्वारा iphone पेश करने के बाद टच स्क्रीन हैन्डहेल्ड पर बेतहाशा लोकप्रिय हो गई।  




टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है ?   : - 
टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी में तीन प्रकार के डिवाइस का प्रयोग किया जाता है :-
1. टच सेंसर एक टच रेस्पोंसिव सरफेस वाला पैनल है।  सिस्टम विभिन्न प्रकार के सेंसर के आधार पर बनाए जाते है : प्रतिरोधक , सतह ध्वनिक तरंग , और कैपेसिटिव।  सामान्य तौर पर , सेंसर में विद्युत् प्रवाह होता है और स्क्रीन को छूने से वोल्टेज में बदलाव होता है। वोल्टेज परिवर्तन स्पर्श के स्थान को इंगित करता है। 
2. नियंत्रक वह हार्डवेयर है जो सेंसर पर वोल्टेज परिवर्तन को कंप्यूटर या किसी अन्य डिवाइस को प्राप्त होने वाले संकेतो में परिवर्तित करता है।  
3. सॉफ्टवेयर कंप्यूटर , स्मार्टफोन , गेम डिवाइस आदि को बताता है की सेंसर पर क्यां हो रहा है और कंट्रोलर से आने वाली जानकारी। कौन क्यां कँहा छू रहा है : और कंप्यूटर या स्मार्टफोन को तदनुसार प्रतिक्रिया करने की अनुमति देता है।  इस प्रकार से टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल सिग्नल और सॉफ्टवेयर से काम करता है।  
प्रतिरोधी और कैपेसिटिवको Ehayo कंट्रीब्यूटर मालिक शारिफ के अनुसार , प्रतिरोधक प्रणाली में सीआरटी ( कैथोड रे ट्यूब ) या स्क्रीन बेस , ग्लास पैनल , रेसिस्टिव कोटींग , सेपरेटर डॉट , कंडक्टिव कवर शीट और टिकाऊ सहित पांच घटक शामिल है।  


टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी के इतिहास :- 1960 इतिहासकार पहली टच स्क्रीन को एक कैपेसिटिव टच स्क्रीन मानते है जिसका अविष्कार 1965 -1967 के आसपास रॉयल रडार एस्टाब्लिशमेंट, मालवर्ण , यूके में जॉनसन।  आविष्कारक ने 1968 में प्रकाशित एक लेख में हवाई यातायात नियंत्रण के लिए तोउछ स्क्रीन टेक्नोलॉजी का पूरा विवरण प्रकाशित किया।  
1970 के दशक : - 1971 में , डॉक्टर सैम Hasart ( एलोग्राफ़िक्स के संस्थापक ) द्वारा एक " टच सेंसर " विकसित किया गया था , जब वह केंटकी विश्वविद्यालय में प्रशिक्षक थे।  " एलोग्राफ " नामक इस सेंसर को यूनिवर्सिटी ऑफ केंटकी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा पेटेंट कराया गया था।  " एलोग्राफ आधुनिक टच स्क्रीन की तरह  पारदर्शी नहीं था , हलकी यह टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी में एक महत्वपूर्ण मिल का पत्थर था।  एलोग्राफ को आऒद्योगिक अनुसन्धान द्वारा वर्ष 1973 के 100 सबसे महत्वपूर्ण नए टेक्नोलॉजी उत्पादों में से एक के रूप में चुना गया था। 
1974 में ;- सैम hastr एलोग्राफ़िक द्वारा विकसित दृश्य पर एक पारदर्शी सतह को शामिल करने वाली पहली सच्ची टच स्क्रीन आई।  1977 में , एलोग्राफ़िक्स ने एक प्रतिरोधक टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी विकसित और पेटेंट की , जो आज उपयोग में सबसे लोकप्रिय टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी ,है.  






1977 में :- सिमेस कॉर्पोरेशन ने पहले घुमावदार ग्लास टच सेंसर एंटरफेस का निर्माण करने के लिए  एक प्रयास को वित्तपोषित किया , जो टच स्क्रीन नाम से जुड़ा पहला उपकरण बन गे।  24  फरवरी  1994  को कंपनी ने आधिकारिक तौर पर इसका नाम एलोग्राफ़िक्स से बदलकर एलो  टच सिस्टम कर दिया।  
एलोग्राफ़िक्स पेटेंट्स 


US 3662105 :- विमान निर्देशांक के विद्युत् संवेदक आविष्कारक hasrt जॉर्ज एस , लेक्सिंगटन , केवई - पार्क जेम्स ई, लेक्सिंगटन ,केवई जारी डेट 1 मई 1972 / 21 मई 1970 US 3798370  ; प्लानर निर्देशांक निर्धारित करने के लिए इलेक्ट्रोग्राफ़िक सेंसर आविष्कारक harst 
1980 के दशक :- 1983 में कंप्यूटर निर्माण कंपनी , Hewlett - Packard  ने HP - 150 ,टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी वाला एक घरेलु कंप्यूटर पेश किया।  HP -150 में मॉनिटर के सामने के हिस्से में इन्फ्रारेड बीम का एक अंतनिर्मित ग्रिड था जो उंगलियों की गतिविधियों का पता लगता है  वास्तव में यह इलेक्ट्रिकल सिग्नल के मूवमेंट पर काम करता है।  हालाँकि  इन्फ्रारेड सेंसर धूल जमा करेंगे और लगातार सफाई की आवश्यकता होगी। 
1990 के दशक :- नब्बे के दशक ने टच स्क्रीन तकनीक वाले स्मार्ट फोन और हैन्डहेल्ड पेश किये।  1993 में , Apple ने न्यूटन पीडीए जारी किया , जो हस्तलिपि पहचान से सुसज्जित था।  आईबीएम ने साइमन नामक पहला स्मार्टफोन जारी किया , जिसमे एक कैलेण्डर , नोटपैड और फैक्स फंक्शन और एक टच स्क्रीन इंटरफेस शामिल था जो उपयोगकर्ताओं को फोन नम्बर दिल करने की अनुमति देता था।  1996 में , पाम ने अपनी पायलट श्रृंखला के साथ पीडीए बाजार और उन्नत टच स्क्रीन तकनीक में प्रवेश किया। दोस्तों मैं शहींद्र भगत आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।    


2000 के दशक ;- 2002 में , माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज एक्सपी टैबलेट संस्करण पेश किया और टच टेक्नोलॉजी में अपना प्रवेश शुरू किया।  हालाँकि , टच स्क्रीन स्मार्ट फोन की लोकप्रियता में वृद्धि ने 2000 के दशक को परिभाषित किया।  2007 में , Apple ने स्मार्टफोन के बादशाह , iphone को टच स्क्रीन तकनीक के आलावा और कुछ भी पेश नहीं किया। 






Saturday, 17 July 2021

राँची ,झारखण्ड : - झरनों का शहर रांची और झारखण्ड की राजधानी

राँची ,झारखण्ड : - झरनों  का शहर रांची और झारखण्ड की राजधानी 





दोस्तों मै आज आपको झरनों का शहर रांची के बारे में बताने जा रही हूँ। रांची (संथाली भारत का एक महानगर और झारखण्ड प्रदेश की राजधानी है।  यह झारखण्ड का तीसरा सबसे प्रसिद्ध शहर है। इसे झरनो का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यंहा बहुत सारे बड़े बड़े झरने है पहले जब यह बिहार राज्य का भाग था तब गर्मियों में अपने अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी।  झारखण्ड आंदोलन के दौरान राँची इसका केंद्र हुआ करता था।  राँची एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र भी है।  जंहा मुख्य रूप से एच इ सी ( हेवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन ), भारतीय इस्पात प्राधिकरण , मकान इत्यदि के कारखाने है।  राँची के साथ जमशेदपुर और बोकारो भी इस प्रान्त के दो अन्य प्रमुख औद्योगिक केंद्र है।  राँची को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटीज मिशन के अंतर्गत एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किये जाने वाले सौ भारतीय शहरो में से एक के रूप में चुना गया है।  रांची भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर होने के लिए भी प्रसिद्ध है।  


झारखण्ड की राजधानी रांची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है।  प्राकृतिक सुंदरता के आलावा रांची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है।  गोंडा हिल और रॉक  गार्डन , मछली घर , बिरसा जैविक उद्यान , टैगोर हिल ,मैक्सकुलीगंज और आदिवासी संग्रहालय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन पर्यटक स्थलों की सैर करने के आलावा यंहा पर प्रकृति की बहुमूल्य देन झरनों के पास बेहतरीन पिकनिक भी मन सकते है।  रांची के सबसे खूबसूरत झरना हुण्डरू फॉल है जो की पर्यटन के लिए काफी खुबसुरती जगह है।  इस प्रकार के और भी पांच झरने है जो काफी खूबसूरत है।  यह झरने और पर्यटक स्थल मिलकर राँची को पर्यटन का स्वर्ग बनाते है और पर्यकट शानदार छुटियां बिताने के लिए हर वर्ष यंहा आते है। 
राँची का नामकरण :- राँची का नाम उराँव गाँव के पिछले नाम से एक ही स्थान पर रची के नाम से लिया गया है।  "राँची " उराँव शब्द "रआयची " से निकला है जिसका मतलब है रहने दो।  पौराणिक कथाओं के अनुसार , आत्मा के साथ विवाद के बाद एक किसान ने अपने ने अपने बांस के  साथ  आत्मा को को हराया।  आत्मा ने रअयची रअयची  चिल्लाया और गायब हो गया।  रअयची  राची बन गई , जो राँची बन गई।  राची के ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण पड़ोस में डोरंडा ( दुरन  दूरद का अर्थ गीत और दए का अर्थ मुदरी भासा में जल है ) . डोरंडा हिनू और हरमू नदियों के बिच स्थित है , जंहा ब्रिटिश राज द्वारा स्थापित सिविल स्टेशन , ट्रेजरी और चर्च सिपाही विद्रोह के दौरान विद्रोही बलों के दौरान विद्रोही बलो द्वारा बल्लो द्वारा नष्ट किये गए थे।  

राँची की भौगोलिक स्थिति :- 

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