Tuesday, 3 August 2021

CBSE CLASS X RESULTS 2021 सीबीएसई 10th बोर्ड एग्जाम रिजल्ट् 2021 चेक करे

CBSE CLASS X BOARD EXAM.RESULTS 2021 
  Dear friends हम आपको बता दे कि अब आपकी उम्मीद की घड़ी समाप्त हो गया है।आपका क्लास10th का Results CBSE- Delhi Board ने घोोषणा कर दिया है। आपका result 3 August 2021 को CBSE- Delhi ने घोषणा कर दिया है।आप अपना परिणाम नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर के देेेख सकते हैं।

दोस्तों हमें यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रहा है।  की अब आपका इंतिजार का पल ख़त्म हो गया आखिर आपका ख़ुशी का पल आ ही गया।  दोस्तों आपको बहुत दिनों से आपके 10 बोर्ड परिणाम का इंतजार था।  

 आपका परिणाम आप cbse के official वेबसाइट में जा कर देख सकते है और मेरे द्वारा निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के डायरेक्ट भी देख सकते है। आपको अपना परिणाम देखने के लिए सबसे पहले आपको अपना रोल नंबर और स्कूल नंबर जानना होगा। 

अगर आपको अपना रोल नंबर अभी तक पता नहीं है तो निचे दिए गए लिंक रोल नंबर फाइंडर पर क्लिक करे और अपना रोल नंबर find करे। उसके बाद school नंबर आप अपने स्कूल से प्राप्त कर सकते है

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Saturday, 31 July 2021

CBSE CLASS XII RESULTS 2021 सीबीएसई 12th बोर्ड एग्जाम रिजल्ट् 2021 चेक करे

 CBSE CLASS XII RESULTS 2021 सीबीएसई 12th बोर्ड एग्जाम रिजल्ट् 2021 चेक करे 


दोस्तों हमें यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रहा है।  की अब आपका इंतिजार का पल ख़त्म हो गया आखिर आपका ख़ुशी का पल आ ही गया।  दोस्तों आपको बहुत दिनों से आपके 12 बोर्ड परिणाम का इंतजार था।  

आपका 12th बोर्ड का रिजल्ट cbse delhi board ने ३० जुलाई 2021 को घोषित कर दिया है। आपका परिणाम आप cbse के official वेबसाइट में जा कर देख सकते है और मेरे द्वारा निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के डायरेक्ट भी देख सकते है। आपको अपना परिणाम देखने के लिए सबसे पहले आपको अपना रोल नंबर और स्कूल नंबर जानना होगा। 

अगर आपको अपना रोल नंबर अभी तक पता नहीं है तो निचे दिए गए लिंक रोल नंबर फाइंडर पर क्लिक करे और अपना रोल नंबर find करे। उसके बाद school नंबर आप अपने स्कूल से प्राप्त कर सकते है। 

अपना परिणाम चेक करने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे उसके बाद     

आपको इस प्रकार का लिंक खुल जायेगा इसमें आप पहले अपना रोल नंबर भरे उसके बाद अपना स्कूल नंबर भरे और submit बटन पर क्लिक कर दे आपका रिजल्ट खुल जायेगा उसके बाद आप चाहे तो स्क्रीन शॉट ले या pdf  के रूप में आप save कर सकते है। 

नीचे दिए लिंक से जाने अपना परिणाम और रोल नंबर। ... 

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JAC INTERMEDIATE (12TH ) RESULTS 2021 झारखण्ड इंटर( science, Arts & Commerce ) रिजल्ट चेक करे

 JAC INTERMEDIATE (12TH ) RESULTS 2021 झारखण्ड इंटर( 12 ) रिजल्ट चेक करे 

झारखण्ड इण्टर रिजल्ट 2021 

दोस्तों हमें यह बताते हुए काफी ख़ुशी हो रही है की आपका इंतिजार का पल अब ख़तम हो गया है।  आपका इंटर यानि 12 th  बोर्ड का परिणाम घोषित कर दिया गया है।  दोस्तों हम आपको बता दे झारखण्ड के ऑफिसियल वेबसाइट JAC यानि jharkhand Academic Council , Ranchi ने आपके परिणाम 30 जुलाई 2021 को घोषित  दिया गया है।  


परिणाम कैसे चेक करे :- दोस्तों अपना परिणाम चेक करने के लिए सबसे पहले आप अपना रोल कोड और रोल नंबर अपने एडमिट कार्ड में देख ले। उसके बाद आप निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे। क्लिक करने पर आपको इस तरह का पेज खुल कर आएगा। 


इसमें सबसे पहले आप पहला ऑप्शन में अपना रोल कोड को डालें उसके बाद आप अपना रोल नंबर डालें  उसके बाद में आप submit बटन को टच करे आपका परिणाम खुल जायेगा उसके बाद आप चाहे तो इसका स्क्रीन शॉट या प्रिंट बटन पर क्लिक कर के pdf के रूप में save  भी कर सकते है और प्रिंट आउट भी निकल सकते है। 
दोस्तों मै  आपको अलग अलग लिंक निचे दे रहा हूँ यानि साइंस ,कॉमर्स और आर्ट्स का आपका जो भी सब्जेक्ट हो उसी लिंक पर क्लिक कीजियेगा जिससे आपको परिणाम चेक करने में कोई भी परेशानी नहीं होगा।  आपका परिणाम डायरेक्ट लिंक से खुल जायेगा। अगर किसी भी प्रकार से आपको चेक करने में परेशानी हो रही है तो आप कमेंट करे मै आपका मदद करूँगा। 

निचे का लिंक में क्लिक कर के अपना परिणाम चेक करे। 

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Thursday, 29 July 2021

JAC 10th & 12th BOARD RESULTS 2021 झारखंड बोर्ड10th और 12th रिजल्ट2021 चेक करें



JAC BOARD 10th & 12th RESULTS 2021 :- Hello dear friend we are Happy to inform you that Your JAC 10th & 12th Board results has declared today.Now your journey start towards your future.
1st of all you have to check your results by given below link check here.
Press the below blue colour check here & Enter your Roll code & Roll Number then click on submit button.



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दोस्तों आप ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक कर के अपना परिणाम चेक कर सकते है।  दोस्तों आपको  मेरे ओर से बहुत बहुत बधाई।  मै आपके सुन्दर  भविष्य का  मनोकामना करता हूँ।  अब आपका जीवन  का यात्रा शुरू हो गया है।  




Click on above link and download Your results.

Saturday, 24 July 2021

टेलीफोन(मोबाइल ) : टेलीफोन का इतिहास और विकास

 टेलीफोन(मोबाइल ) : टेलीफोन का इतिहास और विकास 



दोस्तों हम आपको बता दे की टेलीफोन आज के समय में संचार के सबसे ज्यादा और बेहतर रूप से प्रयोग होने वाला पहला उपकरण है।  संचार प्रौद्योगीकी में अब तक के सबसे महत्वपूर्ण उपकरण में से एक टेलीफ़ोन है।  इसके जरिए  आज हम पहाड़ो , महासागरों और दुनिया के सभी प्रकार के विपरीत स्थित में जुड़े होते है।  हम किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण जानकारी को जल्दी और बहुत ही कुशलता से दे सकते है और  पा सकते है।  इस संचार के साधन को आज इस प्रकार से मॉडिफाइड कर दिया जा रहा की हम बहुत ही काम स्थान और किसी भी जगह में ले जाने के लिए सक्षम हो रहे है।  अब सेल फ़ोन , स्मार्टफोन के साथ हम अपने मोबाइल फ़ोन से महत्वपूर डेटा भेज सकते है।किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी  को याद के लिए रख सकते है।  किसी भी फ़ोन से हटाया जानकारी को भी आज हम पौंआ प्राप्त करने में सक्षम है। चाहे हम आनंदित चीजों की बात करे या शिक्षा प्राप्त  करने की बता करे सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने में आज हम इस संचार के साधन से सक्षम है।  इसलिए उस मानव के बारे में हमें जानना बहुत महत्वपूर्ण है जिन्हों ने इस प्रकार के   अविष्कार किया है।    यानि हमें इसके इतिहास के बारे में जरूर जानना चाहिए। 




टेलीफोन की इतिहास क्यां है ?
इतिहास : इसके इतिहास को जानने के लिए हम इसके चरणों के द्वारा जानने कोशिश करते है ,यानि  पहली ,दूसरी और  अन्य प्रयासो  के अनुसार देखते है। .. 
पहला प्रयास : 1672 रॉबर्ट हुक ने 1672  में पहला ध्वनिक टेलीफोन बनाया।   बच्चे के बनाया खिलौना की तरह टू - सुप कैन   तरह , हुक ने पाया की ध्वनि एक तार या स्ट्रिंग पर एक तरफ एक मुख्यपत्र  एयरपीस तक भेजी जा सकती है।  रॉबर्ट हुक ने  पाया की दो तरफ कोई भी एक ही प्रकार के पदार्थ को एक स्ट्रिंग से बांध कर ध्वनि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक  पहुँचाया जा सकता है।  

टेलीफोन स्टेशन 


1838 :- सैमुअल बी मोर्स ने पाया की ध्वनि के एक पैटर्न को प्रसारित करने के लिए अंतराल में एक बटन दबाकर या जारी करके सन्देश को प्रसारित किया जा सकता है।  इसे मोर्स कोड के नाम से जाना जाता था।  
1858 :- साइरस फ़ील्ड  ने टेलीग्राफ द्वारा इंग्लैंड और यू.एस. को जोड़ने वाली पहली ट्रान्साटलांटिक टेलीफोन केबल बिछाने की मांग की।   अगस्त 1858 में पूरा होने से पहले इस परियोजना को असफलताओ का सामना करना पड़ा था।  

टेलीफोन का विकास 


1867 :- 1867 में समुद्र में पहली बार सिग्नल लैम्प के साथ डॉट्स और डैश फ्लैश किये गए थे।  यह विचार ब्रिटिश एडमिरल फिलिप कोलंब से आया था , जिन्होंने आर्थर सीडब्ल्यू एडिलस के सिग्नल लैम्प डिजाइन का इस्तेमाल किया था और अन्य जहाजों के साथ संवाद करने के लिए एक कोड तैयार किया था।  कोड काफी हद तक मोर्स कोड की जित हुई। 



Tuesday, 20 July 2021

टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी की खोज कैसे हुआ और किसने किस प्रकार से खोज किया।

 टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी की खोज कैसे हुआ और किसने किस प्रकार से खोज किया। 






टच स्क्रीन  :-   HOME || YouTube ||   WhatsApp  ||  Facebook  ||  POSTS  ||
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Hello dear friends "How are You " 
 दोस्तों आप सब लोगो को पता होगा की किस प्रकार से आज टेक्नोलॉजी का विकाश हो रहा है।  चाहे हम मोबाइल फ़ोन की बात करे या किसी भी प्रकार के मशीन की बात करे आज सभी चीजों में टच स्क्रीन का प्रयोग होने लगा है। इस टच स्क्रीन की बिकाश और वृदि से हमारा काम भी आसान होने लगा जो काम घंटो का समय लेता था वो भी अब मिंटो में होने लगा है।  हम आपको बता दे आज घर के लगभग सभी चीजे जो रेगुलर प्रयोग में आते है सभी में टच स्क्रीन सेंसर का प्रयोग होने लगा है।  आज घर के दरवाजे से लेकर किचन के इंडक्शन तक टच स्क्रीन के बदल गया है। 


टच स्क्रीन की विकास जानने से पहले मै आपको बता दू सिंपल भाषा में  स्क्रीन क्यां है।  जो आज हम सभी प्रकार के एंड्राइड फ़ोन प्रयोग करते है जिसको प्रयोग करने के लिए हमें अपने मोबाइल के स्क्रीन को टच करना पड़ता है। तभी मोबाइल फ़ोन ऑपरेट होता है जब तक स्क्रीन पर टच नहीं होता तब तक कोई भी ऑपरेशन काम नहीं करता है।  उसी प्रकार सभी तरह के डिवाइस में होता है जो स्क्रीन पर टच होने पर ही काम करता है। 


अंध बिश्वास - दोस्तों मै आपको बता दू की बहुत से लोगो का विश्वास होता है स्किन पर टच होने से ही टच स्क्रीन फ़ोन काम करता है लेकिन मै आपको बता दू स्क्रीन और स्किन दोनों ही एक अलग शब्द है और यह स्किन के अलावा दूसरे इलेक्ट्रिकल कंडक्टिंग डिवाइस से भी काम करता है।  इलेक्ट्रिकल सिग्नल से ही स्क्रीन टच मोबाइल काम करता है। टच स्क्रीन को चलने के लिए एलेक्ट्रियल सिग्नल जरुरी हो  जाती है।  टच स्क्रीन एक डिस्प्ले स्क्रीन है जो एक उंगली या स्टायलस के स्पर्श के प्रति संवेदनशील होती  है।  यह एटीएम मशीन , रिटेल पावर पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल , कार नेविगेशन सिस्टम , मेडिकल मॉनिटर , औद्योगिक नियंत्रण और आज कल लगभग सभी प्रकार के डिवाइस में प्रयोग होने लगा है।  2007 में apple द्वारा iphone पेश करने के बाद टच स्क्रीन हैन्डहेल्ड पर बेतहाशा लोकप्रिय हो गई।  




टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है ?   : - 
टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी में तीन प्रकार के डिवाइस का प्रयोग किया जाता है :-
1. टच सेंसर एक टच रेस्पोंसिव सरफेस वाला पैनल है।  सिस्टम विभिन्न प्रकार के सेंसर के आधार पर बनाए जाते है : प्रतिरोधक , सतह ध्वनिक तरंग , और कैपेसिटिव।  सामान्य तौर पर , सेंसर में विद्युत् प्रवाह होता है और स्क्रीन को छूने से वोल्टेज में बदलाव होता है। वोल्टेज परिवर्तन स्पर्श के स्थान को इंगित करता है। 
2. नियंत्रक वह हार्डवेयर है जो सेंसर पर वोल्टेज परिवर्तन को कंप्यूटर या किसी अन्य डिवाइस को प्राप्त होने वाले संकेतो में परिवर्तित करता है।  
3. सॉफ्टवेयर कंप्यूटर , स्मार्टफोन , गेम डिवाइस आदि को बताता है की सेंसर पर क्यां हो रहा है और कंट्रोलर से आने वाली जानकारी। कौन क्यां कँहा छू रहा है : और कंप्यूटर या स्मार्टफोन को तदनुसार प्रतिक्रिया करने की अनुमति देता है।  इस प्रकार से टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल सिग्नल और सॉफ्टवेयर से काम करता है।  
प्रतिरोधी और कैपेसिटिवको Ehayo कंट्रीब्यूटर मालिक शारिफ के अनुसार , प्रतिरोधक प्रणाली में सीआरटी ( कैथोड रे ट्यूब ) या स्क्रीन बेस , ग्लास पैनल , रेसिस्टिव कोटींग , सेपरेटर डॉट , कंडक्टिव कवर शीट और टिकाऊ सहित पांच घटक शामिल है।  


टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी के इतिहास :- 1960 इतिहासकार पहली टच स्क्रीन को एक कैपेसिटिव टच स्क्रीन मानते है जिसका अविष्कार 1965 -1967 के आसपास रॉयल रडार एस्टाब्लिशमेंट, मालवर्ण , यूके में जॉनसन।  आविष्कारक ने 1968 में प्रकाशित एक लेख में हवाई यातायात नियंत्रण के लिए तोउछ स्क्रीन टेक्नोलॉजी का पूरा विवरण प्रकाशित किया।  
1970 के दशक : - 1971 में , डॉक्टर सैम Hasart ( एलोग्राफ़िक्स के संस्थापक ) द्वारा एक " टच सेंसर " विकसित किया गया था , जब वह केंटकी विश्वविद्यालय में प्रशिक्षक थे।  " एलोग्राफ " नामक इस सेंसर को यूनिवर्सिटी ऑफ केंटकी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा पेटेंट कराया गया था।  " एलोग्राफ आधुनिक टच स्क्रीन की तरह  पारदर्शी नहीं था , हलकी यह टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी में एक महत्वपूर्ण मिल का पत्थर था।  एलोग्राफ को आऒद्योगिक अनुसन्धान द्वारा वर्ष 1973 के 100 सबसे महत्वपूर्ण नए टेक्नोलॉजी उत्पादों में से एक के रूप में चुना गया था। 
1974 में ;- सैम hastr एलोग्राफ़िक द्वारा विकसित दृश्य पर एक पारदर्शी सतह को शामिल करने वाली पहली सच्ची टच स्क्रीन आई।  1977 में , एलोग्राफ़िक्स ने एक प्रतिरोधक टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी विकसित और पेटेंट की , जो आज उपयोग में सबसे लोकप्रिय टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी ,है.  






1977 में :- सिमेस कॉर्पोरेशन ने पहले घुमावदार ग्लास टच सेंसर एंटरफेस का निर्माण करने के लिए  एक प्रयास को वित्तपोषित किया , जो टच स्क्रीन नाम से जुड़ा पहला उपकरण बन गे।  24  फरवरी  1994  को कंपनी ने आधिकारिक तौर पर इसका नाम एलोग्राफ़िक्स से बदलकर एलो  टच सिस्टम कर दिया।  
एलोग्राफ़िक्स पेटेंट्स 


US 3662105 :- विमान निर्देशांक के विद्युत् संवेदक आविष्कारक hasrt जॉर्ज एस , लेक्सिंगटन , केवई - पार्क जेम्स ई, लेक्सिंगटन ,केवई जारी डेट 1 मई 1972 / 21 मई 1970 US 3798370  ; प्लानर निर्देशांक निर्धारित करने के लिए इलेक्ट्रोग्राफ़िक सेंसर आविष्कारक harst 
1980 के दशक :- 1983 में कंप्यूटर निर्माण कंपनी , Hewlett - Packard  ने HP - 150 ,टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी वाला एक घरेलु कंप्यूटर पेश किया।  HP -150 में मॉनिटर के सामने के हिस्से में इन्फ्रारेड बीम का एक अंतनिर्मित ग्रिड था जो उंगलियों की गतिविधियों का पता लगता है  वास्तव में यह इलेक्ट्रिकल सिग्नल के मूवमेंट पर काम करता है।  हालाँकि  इन्फ्रारेड सेंसर धूल जमा करेंगे और लगातार सफाई की आवश्यकता होगी। 
1990 के दशक :- नब्बे के दशक ने टच स्क्रीन तकनीक वाले स्मार्ट फोन और हैन्डहेल्ड पेश किये।  1993 में , Apple ने न्यूटन पीडीए जारी किया , जो हस्तलिपि पहचान से सुसज्जित था।  आईबीएम ने साइमन नामक पहला स्मार्टफोन जारी किया , जिसमे एक कैलेण्डर , नोटपैड और फैक्स फंक्शन और एक टच स्क्रीन इंटरफेस शामिल था जो उपयोगकर्ताओं को फोन नम्बर दिल करने की अनुमति देता था।  1996 में , पाम ने अपनी पायलट श्रृंखला के साथ पीडीए बाजार और उन्नत टच स्क्रीन तकनीक में प्रवेश किया। दोस्तों मैं शहींद्र भगत आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।    


2000 के दशक ;- 2002 में , माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज एक्सपी टैबलेट संस्करण पेश किया और टच टेक्नोलॉजी में अपना प्रवेश शुरू किया।  हालाँकि , टच स्क्रीन स्मार्ट फोन की लोकप्रियता में वृद्धि ने 2000 के दशक को परिभाषित किया।  2007 में , Apple ने स्मार्टफोन के बादशाह , iphone को टच स्क्रीन तकनीक के आलावा और कुछ भी पेश नहीं किया। 






Saturday, 17 July 2021

राँची ,झारखण्ड : - झरनों का शहर रांची और झारखण्ड की राजधानी

राँची ,झारखण्ड : - झरनों  का शहर रांची और झारखण्ड की राजधानी 





दोस्तों मै आज आपको झरनों का शहर रांची के बारे में बताने जा रही हूँ। रांची (संथाली भारत का एक महानगर और झारखण्ड प्रदेश की राजधानी है।  यह झारखण्ड का तीसरा सबसे प्रसिद्ध शहर है। इसे झरनो का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यंहा बहुत सारे बड़े बड़े झरने है पहले जब यह बिहार राज्य का भाग था तब गर्मियों में अपने अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी।  झारखण्ड आंदोलन के दौरान राँची इसका केंद्र हुआ करता था।  राँची एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र भी है।  जंहा मुख्य रूप से एच इ सी ( हेवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन ), भारतीय इस्पात प्राधिकरण , मकान इत्यदि के कारखाने है।  राँची के साथ जमशेदपुर और बोकारो भी इस प्रान्त के दो अन्य प्रमुख औद्योगिक केंद्र है।  राँची को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटीज मिशन के अंतर्गत एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किये जाने वाले सौ भारतीय शहरो में से एक के रूप में चुना गया है।  रांची भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर होने के लिए भी प्रसिद्ध है।  


झारखण्ड की राजधानी रांची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है।  प्राकृतिक सुंदरता के आलावा रांची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है।  गोंडा हिल और रॉक  गार्डन , मछली घर , बिरसा जैविक उद्यान , टैगोर हिल ,मैक्सकुलीगंज और आदिवासी संग्रहालय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन पर्यटक स्थलों की सैर करने के आलावा यंहा पर प्रकृति की बहुमूल्य देन झरनों के पास बेहतरीन पिकनिक भी मन सकते है।  रांची के सबसे खूबसूरत झरना हुण्डरू फॉल है जो की पर्यटन के लिए काफी खुबसुरती जगह है।  इस प्रकार के और भी पांच झरने है जो काफी खूबसूरत है।  यह झरने और पर्यटक स्थल मिलकर राँची को पर्यटन का स्वर्ग बनाते है और पर्यकट शानदार छुटियां बिताने के लिए हर वर्ष यंहा आते है। 
राँची का नामकरण :- राँची का नाम उराँव गाँव के पिछले नाम से एक ही स्थान पर रची के नाम से लिया गया है।  "राँची " उराँव शब्द "रआयची " से निकला है जिसका मतलब है रहने दो।  पौराणिक कथाओं के अनुसार , आत्मा के साथ विवाद के बाद एक किसान ने अपने ने अपने बांस के  साथ  आत्मा को को हराया।  आत्मा ने रअयची रअयची  चिल्लाया और गायब हो गया।  रअयची  राची बन गई , जो राँची बन गई।  राची के ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण पड़ोस में डोरंडा ( दुरन  दूरद का अर्थ गीत और दए का अर्थ मुदरी भासा में जल है ) . डोरंडा हिनू और हरमू नदियों के बिच स्थित है , जंहा ब्रिटिश राज द्वारा स्थापित सिविल स्टेशन , ट्रेजरी और चर्च सिपाही विद्रोह के दौरान विद्रोही बलों के दौरान विद्रोही बलो द्वारा बल्लो द्वारा नष्ट किये गए थे।  

राँची की भौगोलिक स्थिति :- 

Friday, 16 July 2021

बॉक्साइट नगरी लोहरदगा :-झारखण्ड की प्रमुख स्थलों में एक

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बॉक्साइट नगरी लोहरदगा :-झारखण्ड की प्रमुख स्थलों में एक 



.बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा झारखण्ड के बारे में आज मुझे कुछ लिखने का मौका मिला है।  मै अपने जिला का बारे में लिख रहा हूँ। यह मौका आज मुझे मिला की मै अपने जिला के बारे में लिखू। मुझे काफी खुशी हो रही है की मुझे अपने अपने जिला के बारे में लिखने के लिया मौका मिला है।  इस लेख में मै  इस जिले की इतिहास और प्रमुख धार्मिक स्थलों के बारे में बतायूँगा। 




दोस्तों आपको मेरा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करे अगर आपके पास कोई सुझाव है तो जरूर कमेंट करे।   लोहरदगा की इतिहास :- 1983 में रांची को विभाजित कर तीन जिले बनाये गए रांची , गुमला  और लोहरदगा। इस प्रकार से लोहरदगा जिला अस्तित्व में आया।  जिला का नामकरण लोहरदगा शहर के नाम पर किया गया , जो जिला का प्रशासनिक मुख्यालय बना।  सं 1972 में लोहरदगा को अनुमंडल एवं  1983 में जिला का रूप दिया गया।  जैन पुराणों के अनुसार भगवन महावीर ने लोहरदगा की यात्रा की थी।  जंहा पर भगवान महावीर रुके थे उस स्थान को लोर -ए -यादगा  के नाम से जाना जाता है ,जिसका मुंडारी में " आँसूवो की नदी ( River of Tear )" होता है।  सम्राट अकबर पर लिखी पुस्तक "आइने अकबरी " में भी " किस्मत -ए -लोहरदगा " का उल्लेख मिलता है।  लोहरदगा हिंदी के दो शब्दों "लोहार " जिसका अर्थ लोहे का व्यापारी और "दगा " जिसका अर्थ   केंद्र होता है अथार्त  लोहे खनिज का केंद्र होता है  HOME       ||  FACEBOOK        || WHATSAPP    ||  YOUTUBE            ||   WEBSITE           ।  


यह जिला झारखण्ड राज्य के दक्षिण पश्चिम भाग में  अवस्तित है जिसका अक्षांशीय विस्तार 23degree 30min. उतर से 23degree 40min. उतर तथ देशांतरीय विस्तार 84degree 40min. से 84degree 50min.  पूर्वी तक है।  छोटानागपुर पठार के जनजातीय बहुल क्षेत्र में 1491 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल  से आच्क्षादित है।  जिला छोटे छोटे पहाड़ो एवं जंगलो से घिरा हुआ है।  इसका सामान्य ढलान पश्चिम से पूर्वी की ओर है। दोस्तों मैं  आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।  कोयल ,शंख ,नंदिनी , चौपाट ,फुलझर अदि जिले के प्रमुख नदिया है।  ये सभी नदियाँ वर्षा आधारित है जो गर्मियों में सुख जाती है।  जिले के पहाड़ी पथ पर कुछ झरने भी दिखाए पड़ते है।  जिसमे प्रमुख है , धरधरिया , चितरी घाघ , 27no. पूल , बूढ़ा घाघ  आदि प्रमुख है।  भूगर्भीय दृष्टि से यह क्षेत्र आर्किचन ग्रेनाइट ( Archean Granite ) एवं गनिस के बिच मुख्या रूप लेटेराइट मिट्टी पाए जाती है जो प्लीस्टोसीन युग में निर्मित हुई है।  आधुनिक काल में नदी घाटी में एलुमिनियम  पाया जाता है।  बॉक्साइट जिले की प्रमुख खनिज है।  अन्य खनिज में फेल्सपार , फायरक्ले तथा चायनाक्ले है जो कम आर्थिक महत्व के है।  जिले का एक अधिकतर भाग ग्रेनाइट एलुमिनियम , लाल मिट्टी , बलुवा मिट्टी , लाल और बजरी मिटटी से आच्छदित  है।  कुछ भागो में लेटेराइट , लाल एवं पिली मिट्टी भी पाई  जाती है।  इस में सालो भर  स्वास्थ्य वर्धक एवं आरामदायक मौसम पाया  जाता है।  वार्षिक औसत तापमान 23degree तथा वार्षिक औसत वर्षा 1000 - 1200 मिली. होती है।  यंहा वर्षा पश्चिम से पूर्व की ओर  होती है।  इस जिले में आप सभी मौसम का आनंद  ले सकते है।  सभी मौसम समय से होती है और सभी मौसम के मीडियम लेवल पर रहती है इसलिए यंहा का मौसम हमेशा  अनुकूल रहता है।  इस जिले की खूबसूरती को बढ़ाने में रेल सेवा का महत्तपूर्ण  योगदान है।  यंहा रेल सेवा जिला के निर्माण से पहले से चल रही है जो काफी मात्रा में निकलने वाली बॉक्साइट को सप्लाई करने के लिया किया जाता रहा है। यंहा दो ट्रैन पहले चलती थी लेकिन अब यंहा तीन और उससेज्यादा  पांच ट्रैन चलती है। एक ट्रैन मॉल की ट्रांसपोर्ट के लिए और बाकि  सवारी ट्रैन है जिसमे लोग यात्रा करते है।  मै  आपको  दूँ  सभी ट्रैन झारखण्ड की राजधानी राँची  से कनेक्ट है।  दो ट्रैन  को चंदवा रेल लाइन से जोड़ा गया है जो यात्रयों को डायरेक्ट दूसरे राज्यों से कनेक्ट कराती है।  ऐसे तो रांची से भी दूसरे राज्य कनेक्ट होता है लेकिन दिल्ली और हरियाणा जैसे उतर के राज्यों के लिए चंदवा रेल लाइन काफी कम टाइम में पहुंचती है। दोस्तों आपको मेरा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करे अगर आपके पास कोई सुझाव है तो जरूर कमेंट करे।     

प्रमुख धार्मिक स्थल : - यंहा ऐसे तो काफी धार्मिक स्थल है जो जिले की शोभा को बढ़ावा देते है।  यंहा हर दिन लोगो का आना जाना बना रहता है लेकिन मैं इस लेख में सिर्फ उन धार्मिक स्थलों के बारे बे लिखने जा रहा हूँ  जो काफी ज्यादा प्रचलित है। 


अखिलेश्वर धाम : - दोस्तों हम आपको बता दे प्रमुख धार्मिक स्थल में अखिलेश्वर धाम एक है। अखिलेश्वर धाम एक धार्मिक स्थल है , जंहा हजारो की संख्या में लोग पूजा करने के लिए आते है।  यंहा श्रवण के महीने में और भी काफी लोगो का भीड़ देखने को मिलता है। इस  धाम में  काफी बड़ा चटान में एक भगवन शिव का मंदिर है जो चटान का सबसे पिक पॉइंट पर है इसी चटान से सटा एक तालाब भी है जो काफी गहरा और बड़ा है ,जिसके तीन ओर बड़े बड़े चटान घिरे है। 


दोस्तों मैं  आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।  इसमें एक मान्यता है की यंहा लोगो की सच्चे मन से मांगे गए सभी मन्नते  तुरंत ही पूरी हो जाती है।  यंहा की श्रवणी मेला (रथ मेला ) आस पास के क्षेत्र में बहुत प्रसिध्द है।  भगवन शिव के इस धाम की भौगोलिक संरचना एक तरफ चट्टान एवं एक तरफ विशाल तालाब से घिरा हुआ है।  इस दृश्य को देख कर मन को काफी शांति मिलती है।  ऐसी करना यह लोहरदगा के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह स्थल लोहरदगा जिला मुख्यालय से 21 किमी. की दुरी पर भंडरा प्रखंड में अवस्थित है। यंहा जाने के लिए आप किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग कर सकते है, आप चाहे तो भाड़े की वाहन से भी जा सकते है जो बहुत ही काम भाड़ा मात्र 20 रु में पहुंचा देगी आपको भंडरा तक उसके बाद आप पैदल 2 किमी की यात्रा करेंगे तो पहुँच जायेंगे या ,कोई भी वाहन ले  जा सकते है। 


दोस्तों आपको मेरा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करे अगर आपके पास कोई सुझाव है तो जरूर कमेंट करे।  

Wednesday, 14 July 2021

History of Google ( Beginning ): - आज मै आपको Google की starting इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ।

 History of Google ( Beginning ): - आज मै आपको Google की starting इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ।  



दोस्तों आपको तो भली भांति पता होगा की आज के दिन में गूगल का क्यां रोल है।  हम आपको बता दे की आज गूगल ब्राउज़र का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है। सबसे तेज ब्राउज़र ,और सबसे सेफ्टी के लिए फेमस है। आइए दोस्तों मैं आपको Google की starting इतिहास के बारे में बताता हूँ। 
Google की उत्पति " बैकरब " में हुई है ,एक शोध  जिसे 1996 में लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा शुरू किया गया था , जब वे दोनों स्टैनफोर्ड , कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र थे।  इस परियोजना में शुरू में एक अनौपचारिक "तीसरा संस्थापक ". स्टॉक हसन ,प्रमुख प्रोग्रामर शामिल थे , जिन्हनो मूल Google खोज इंजन के लिए बहुत सरे कोड लिखे थे , लेकिन Google  के आधिकारिक तौर पर एक कंपनी के रूप में स्थापित होने से पहले उन्होने छोड़ दिया , हसन ने रोबोटिक्स में अपना करियर बनाया और 2006  में कंपनी विलो गैराज की की स्थापना की। दोस्तों मैं  आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।    


एक शोध प्रबंध विषय की खोज में पेज अन्य बातो के आलावा वर्ल्ड वाइड वेब के गणितीय गुणों की खोज करने पर विचार कर रहा था।  इसकी लिंक संरचना को एक विशाल ग्राफ के रूप में समझ रहा था।  उनके पर्यवेक्षक , टेरि विनोग्राड ने उन्हें इस विचार को चुनने के लिए प्रोत्साहित किया ( जिसे बाद में पेज ने "मुझे मिली सबसे अच्छी सलाह " के रूप में यद् किया ) और पेज ने यह पता लगाने की समस्या पर ध्यान केन्द्रित  किया की कौन  से वेब पेज किसी दिए गए पेज से लिंक करते है , इस विचार के आधार ऐसे बैकलिंक्स की संख्या और प्रकृति उस पृष्ट के बारे में इम्पोटेंटस जानकारी थी।  पेज ने हसन को अपने विचार बताये , जिन्हे पेज के विचारो को लागु करने के लिए कोड लिखना शुरू किया।  शोध परियोजना को "बैकरब " उपनाम दिया गया था, इस प्रकार यह जल्द ही ब्रिन से जुड़ गया , जिसे राष्टीय विज्ञान  फाउंडेशन स्नातक फैलोशिप द्वारा समर्थित किया गया था।  दोनों की पहली मुलाकात 1995 की गर्मियों में हुए थी , जब पेज संभावित नए छात्रों के एक समूह का हिस्सा था ,जिसे ब्रिन ने स्वेच्छा से परिसर और पास के साइन फ्रांसिस्को का दौरा करने के लिए दिया था।  ब्रिन और पेज दोनों स्टैनफोर्ड डिजिटल लाइब्रेरी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।  एसडीएलपी का लक्ष्य "एकल , एकीकृत और सार्वभौमिक डिजिटल पुस्तकालय के लिए सक्षम प्रौद्योगिकियो  को विकसित करना " था और ऐसे अन्य संघिये एजेंसियों के बिच राष्टीय विज्ञानं फाउंडेशन के माध्यम से वित् पोषित किया गया था।  


पागेके वेब क्रॉलर ने मार्च 1996 में वेब की खोज शुरू की , जिसमे पेज का अपना स्टैनफोर्ड होम पेज एकमात्र शुरूआती बिंदु था।  किसी दिए गए वेब पेज के लिए एकत्र किये गए बैकलिंक देता को महत्व के माप  में बदलने के लिए , ब्रिन और पेज ने पेजरैंक एल्गोरिथम विकसित किया।  बैकरब के आउटपुट का विश्लेषण करते समय , जो किसी दिए गए url के लिए महत्व के आधार पर रैंक किये गए बैकलिंक्स की एक सूचि से युक्त तह , इस जोड़ी ने महसूस किया की पपेजरैंक पर आधारित एक खोज इंजन मोजोदा तकनीकों की तुलना में बेहतर परिणाम देगा ( उस समय के मौजूदा सर्च इंजन अनिवार्य रूप से परिणामो के अनुसार रैंक किये गए थे।  किसी पृष्ट पर खोज शब्द कितनी बार प्रदर्शित हुआ ). 
यह मानते हुए की अन्य अत्यधिक प्रासंगिक वेब पेजो से उनके लिए सबसे अधिक लिंक वाले पृष्ट खोज से जुड़े सबसे अधिक प्रासंगिक पृष्ट होने चाहिए ,पेज और ब्रिन ने अपने अध्ययन के हिस्से के रूप में अपनी थीसिस का परीक्षण किया और अपने खोज इंजन की नीव रखी।  Google का पहला संस्करण अगस्त 1996 में स्टैनफोर्ड के संपूर्ण नेटवर्क बैंडविड्थ का लगभग आधा उपयोग किया।  


स्टॉक हसन और एलन स्ट्रेमबर्ग को पेज और ब्रिन द्वारा Google के विकास के लिए महत्वपूर्ण होने के रूप में उत्पन किया गया था।  राजीव मोटवानी और तेरी विनोग्राद ने बाद में पेज और ब्रिन के साथ मिलकर प्रोजेक्ट के बारे में पहला पेपर लिखा , जिसमे पेजरैंक और 1998 में प्रकाशित गूगल सर्च इंजन के प्राम्भिक प्रोटोटाइप का वर्णन किया गया था।  हेक्टर गार्सिया - मोलिना और जेफ़  उलमैन को भी योगदानकर्ताओं के रूप में उत्पन किया गया था।  

पेजरैंक एक सामान पेज रैंकिंग और साइट -स्कोरिंग एल्गोरिथम से प्रभावित तह , जिसे पहले रैण्डेक्स के लिए इस्तेमाल किया गया था , जिसे 1996 में दायर पेजरैंक के लिए लैरी पेज के पेटेंट में ली के पहले के पेटेंट का एक उदाहरण शामिल है। बाद में ली ने 2000 में चीनी सर्च इंजन बैदु बनाया। 
मूल रूप से सर्च इंजन ने Google.stanford.edu  और z.stanford.edu  डोमेन के साथ स्टैनफोर्ड की वेबसाइट का इस्तेमाल किया।  डोमेन google.com 15 सितम्बर 1997 को पंजीकृत किया गया था।  उन्होने औचारिक रूप से अपनी कंपनी , Google को 4  सितम्बर  1998 को मेनलो पार्क , कैलिफोर्निया में आपने मित्र सीसँ वजसकी अंतत : Google में एक कार्यकारी बन गया और अब यूट्यूब में सीईओ है। 


ब्रिन और पेज दोनों एक खोज इंजन या विज्ञापन वित् पोषित खोज इंजन " मोडल में विज्ञापन पॉप आप का उपयोग करने के खिलाफ थे , और उन्होने 1998 में इस विषय पर एक शोध पत्र लिखा था , जबकि अभी भी छात्र है।  उन्होने जल्दी ही अपना विचार बदल दिया और सरल टेक्स्ट विज्ञापनों की अनुमति दी।  1998 के अंत तक Google के पास लगभग 60 मिलियन पृष्टो की अनुक्रमणिक थी।  होम पेज को अभी भी ' बीटा  " के रूप में पहचान किया गया था , लेकिन सैलून डॉट कॉम में एक लेख ने पहले ही तर्क दिया था की google के खोज परिणाम हॉटबॉट या एक्साइट डॉट कॉम जैसे प्रतियोगियों  की तुलना में बेहतर थे , और ओवर लोडेड पोर्टल साइट की तुलना में अधिक तकनिकी रूप से नविन होने के लिए इसकी प्रशंसा की ( जैसे yahoo! , Excite.com ,Lycos ,नेटस्केप',Netcenter ,AOL.com ,Go.com और MSN.com )  जो उस समय बढ़ते डॉट-कॉम के दौरान वेब के भविष्य के रूप में देखे जाते थे , विशेष रूप से शेयर बाजार के निवेशको द्वारा किया जाता था।  1999 की शुरुआत में ब्रिन और पेज ने फैसला किया की वे Google को एक्साइट के सीईओ जॉर्ज बेल के पास गए और उन्हें इसे $1 मिलियन में बेचने की पेशकश की।  उन्होंने प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया।  एक्साइट के वेंचर कैपिटलिस्टों में से एक विनोद खोसला ने दोनों के साथ 750000 डॉलर तक बात की लेकिन बेल ने फिर भी इसे अस्वीकार कर दिया।  
मार्च 1999 में कंपनी पालो ओल्टो में 165 उनिवेर्सिटी एवेन्यू में कार्यालयों में चली गई  , कई अन्य प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के घर।  दो अन्य साइट को तेजी से आगे बढ़ाने के बाद , कंपनी ने २००३ में सिलिकॉन ग्राफिक  से 1600 एम्फीथियेटर पार्कवे पर माउंटेन व्यू में इमारते के एक परिसर को पत्ते पर दिया।  कंपनी तब से इस स्थान पर बनी हुई  है और तब से यह परिसर Googleplex के रूप में जाना जाने लगा।  2006 में , Google ने SGI से US $19 मिलियन में खरीदी।  







दोस्तों मैं शहींद्र भगत आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे। 

Monday, 12 July 2021

whatsapp का इतिहास (2009 -2010 ): - दोस्तों आज मै आपको डेली यूज़ होने वाले एप्प व्हाट्सप्प का डेवलपमेंट और इसके इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ।

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 whatsapp का इतिहास (2009 -2010 ): - दोस्तों आज मै आपको डेली यूज़ होने वाले एप्प व्हाट्सप्प का डेवलपमेंट और इसके इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ। 



आज के दिन में whatsapp काफी ज्यादा प्रचलित हो गया।  आज के दिन में व्हाट्सप्प का प्रयोग हर प्रकार के डिजिटल वर्क में होता है।  massage ,video ,चैटिंग ,लाइव मीटिंग ,फाइल शेयर आदि अनेको प्रकार से व्हाट्सप्प का प्रयोग होता है।  दोस्तों मै आपको बता दूँ आज हर प्रकार के मोबाइल फ़ोन में व्हाट्सप्प को एक डिफ़ॉल्ट apps के तरह इन्क्लुडे किया जाता है। प्रत्येक लोगो के लिए आज व्हाट्सप्प एक जरूरत का apps  बन गया है।  

हमें व्हाट्सप्प के इतिहास के बारे में जानना चाहिए जिससे हमें अपना ज्ञान का बृद्धि करने में मदद मिलता है।  यह एक सामान्य स्टार्टअप की कहानी की तरह नहीं है ,इसके वजह से संस्थापकों को अपने कॉलेज से बहार होना पड़ा था।  संस्थाक ने एक टीम बनाये और फेसबुक या गूगल जैसी दिग्गज कंपनी से प्री -सीड फंडिंग प्राप्त की।  व्हाट्सप्प की अवधारणा कॉलेज के छात्रों द्वारा की गए थी जो अपने 30 

2009 -2014 :- व्हाट्सप्प की स्थापना ब्रायन एक्टन और याहू के पूर्व कर्मचारी जान कौम ने की थी।  जनवरी 2009 मआईफोन खरीदने और ऐप्प स्टोर पर ऐप्प  उद्योग की क्षमता को महसूस करने के बाद , कौम के दोस्त एलेक्स फिशमैन के पास एक नए प्रकार के मैसेंजिंग ऐप्प  पर चर्चा करना शुरू किया जो "व्यक्ति के बगल में स्थिति " को दिखाएग। लोगो के नाम उसने महसूस किया कि  इस विचार को और आगे ले जाने के लिए उन्हे एक iphone डेवलप की आवश्यकता होगी।  फिशमैन ने RentACoder.com का डिटेल्स लिया , रुसी डेवलपर इगोर सोलोमेनिकोव को पाया और उसे कौम से मिलवाया।  कौम ने ऐप को व्हाट्सप्प का नाम "व्हाटस  अप " जैसा ध्वनि देने के लिए रखा।  24 फ़रवरी 2009 को उसने कैलिफोर्निया में whatsApp Inc. को शामिल किया।  लेकिन , जब व्हाट्सप्प के शुरूआती संस्करण दुर्घटनाग्रस्त होते रहे , तो कौम ने हार मान ली और एक नए नौकरी की तलाश की।  एक्टन ने उन्हें कुछ महीने के लिए प्रतीक्षा करने के लिए प्रोत्साहित किया।  जून 2009 में एप्पल ने पुश नोटिफिकेशन लांच किया, जिससे उपयोगकर्ताओं को ऐप का उपयोग नहीं करने पर पिंग करने की अनुमति मिल गई।  कौम  ने व्हाट्सप्प को बदल दिया ताकि उपयोगकर्ता की स्थिति बदलने पर उपयोगकर्ता की नेटवर्क में सभी को सूचित किया जा सके।  व्हाट्सप्प 2. 0  को एक मैसेंजिंग घातक के  साथ जारी किया जा रहा था। 


 सक्रीय उपयोगकर्ता लोगो की संख्या अचानक बढ़कर 250,000 हो गई।  जबकि एक्टन एक और स्टार्टअप आईडिया पर काम कर रहे थे ,उन्होंने कंपनी में शामिल होने का फैसला किया।  अक्टूबर 2009 में , एक्टन ने याहू सीड फंडिग में $250000 निवेश करने के लिए और एक्टन एक सह -संस्थापक बन गया और उसे एक हिस्सेदारी दी गई।  वह आधिकारिक तौर पर 1 नवम्बर को व्हाट्सप्प से जुड़े।  बिता चरण में महीनो के बाद , नवम्बर 2009 में एप्लीकेशन लांच किया गया , विशेष रूप से iphone के लिए ऐप स्टोर पर किया।  इसके बाद कौम ने ब्लैकबेरी संस्करण विकसित करने के लिए लॉस एंजिल्स में एक दोस्त क्रिस पेयफर को काम पर रखा , जो दो महीने बाद आया इसके बाद मई 2010 में सिम्बियन ओएस के लिए व्हाट्सप्प और अगस्त 2010 में एंड्राइड ओएस के लिए जोड़ा गया।  2010 में व्हाट्सप्प 


इसके बाद , मई 2010 में सिम्बियन ओएस के लिए व्हाट्सप्प और अगस्त 2010 में एंड्राइड ओएस के लिए जोड़ा गाय।  2010 में व्हाट्सप्प  Google से कई अधिग्रहण प्रस्ताओं के अधीन किया गया था जिन्हे अस्वीकर कर दिया गया था।  उपयोगकर्ता को सत्यापन डिटेल्स भेजने की लगत को कवर करने के लिए , व्हाट्सप्प को एक मुकत सेवा से एक भुगतान सेवा में बदल दिया गया था।  दिसंबर 2009 में , आईओएस संस्करण में फोटो भेजने की क्षमता को जोड़ा गया था।  2011 की शुरुआत में , व्हाट्सप्प एप्पल के यूजर एप्प स्टोर के शीर्ष 20 एप्प में से एक था।  अप्रैल 2011 में , सिकोइया कैपिटल ने कंपनी के 15 %  से अधिक के लिए लगभग 8 मिलियन डॉलर का निवेश किया , सिकोइया पार्टनर जिम गोएट्ज द्वारा महीनो की बातचीत के बाद फरवरी 2013 तक , व्हाट्सप्प के लगभग २०० मिलियन एक्टिव यूजर और 50 कर्मचारी सदस्य थे।  सिकोइया ने और $50 मिलियन का निवेश किया और Whatsapp का मूल्य $1.5 बिलियन था।  2013 में कुछ समय ,व्हाट्सप्प ने सांता क्लारा आधारित स्टार्टअप , स्कएमोबियस ,वीटोक के डेवलपर्स एक वीडियो और वौइस् कालिंग एप्प  का अधिग्रहण किया।  दिसंबर 2013 में एक ब्लॉग पोस्ट में व्हाट्सप्प ने दवा किया की 400 मिलियन एक्टिव उपयोगकर्ता हर महीने इस सेवा का उपयोग करते है।  


1.5 अरब डॉलर के मुल्यांकन पर उद्यम पूंजी वित् पोषण दौर के टिक एक साल बाद 19 फ़रवरी 2014 को ,फेसबुक ने घोषणा की की वह 19 अरब अमेरिका  डॉलर में व्हाट्सप्प का अधिग्रहण कर रहा है , जो अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है।  उस समय , यह इतिहास में एक उद्यम समर्थित कंपनी  बड़ा अधिग्रहण था।  सिकोइया कैपिटल ने अपने प्रारम्भिक निवेश पर लगभग 5000 % रेतुर्न प्राप्त किया।  फेसबुक , जिसे एलान एन्ड कंपनी ने सलाह दी थी , ने व्हाट्सएप्प  संस्थापक कौम  और एक्टन को दी गयी प्रतिबंधित स्टॉक इकाइयों में $4 बिलियन नकद ,$12 बिलबिलन फेसबुक शेयरों में , और (मॉर्गन स्टेनली द्वारा सलाह दी दिया गया ) अतिरिक्त 3 बिलियन डॉलर का भुगतान किया।  कर्मचारी स्टॉक बंद होने के चार साल बाद निहित होना निर्धारित किया गया था।घोषणा के कुछ दिन बाद व्हाट्सप्प उपयोगकर्ताओं ने सेवा के नुकसान का अनुभव किया , जिससे सोशल मीडिया पर गुस्सा फुट पड़ा।  अधिग्रहण के कारण काफी संख्या में उपयोगकर्ता अन्य सन्देश सेवाओं की ओर प्रयास करने के लिए प्रेरित हुए।  टेलीग्राम  किया की उसने 8 मिलियन    2 मिलियन। फरवरी 2014 में बार्सिलोना में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में एक मुख्या प्रस्तुति में , फेसबुक के सीओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा की फेसबुक द्वारा व्हाट्सप्प का अधिग्रहण इंटरनेट टेकक्रंच के एक लेख ने जुकरबर्ग के दृष्टिकोण के बारे में यह कहा :  



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