भारतीय महिला तीरन्दाज़ी खिलाड़ी दीपिका कुमारी
नमस्कार दोस्तों आज मै आपको झारखण्ड की मोस्ट वांटेड महिला के बारे में बताने जा रहा हूँ। दोस्तों हम आपको बता दे इनका भी जीवन एक सिंपल झारखंडी जैसा ही था लेकिन इनके मेहनत और लगन से इनका लाइफ सीतले में अभी बहुत चेंज हो गया है। लाइफ काफी आरामदायक और सुविधा जानका हो गया है।
दोस्तों हम जिस गर्ल्स की बात क्र रहे ह उनका नाम है दीपिका कुमारी चलिए इनके बारे में बिस्तर से जानते है।
दीपिका कुमारी :- गोल्डन गर्ल्स के नाम से जाने जाने वाली कुमारी महतो का जन्म तेरह जून ु 1994 को झारखण्ड के रांची ( रातू गांव ) जिला में हुआ। उनके पिता एक ऑटो चालक शिवनराण महतो और रांची कॉलेज में नर्स गीता महतो के घर में उनका जन्म हुआ। बचपन से ही दीपिका अपने लक्ष्य पर केंद्रित रही है। दीपिका की माँ गीता बताती है की वो बचपन में दीपिका एक दिन मेरे साथ जा रही रही थी की रस्ते में एक आम का पेड़ दिखा। दीपिका ने कहा की वो आम तोड़ेगी। मैंने उसे माना किया की आम बहुत ऊँची डाल है ,नहीं तोड़ पायेगी ,तो उसने कहा , नहीं आज तो मै ऐसे तोड़ कर ही रहूँगी।
उसने जमीन से पत्थर उठा कर निशान साधा। पत्थर सीधे टहनी से टकराया और आम गिर। दीपिका का वो निशान देख कर मुझे हैरानी हुयी . ठीक वैसे ही जीवन में भी लक्ष्य बना लेती है उसे हासिल करके दिखती है। जिस गांव में आज बिजली पानी की सप्लाई तक नहीं है , वंहा धनुर्बिद्या की दिशा पकड़ने वाली दीपिका ने आज पुरे दुनिया को अपने हुनर को दिखा दी। अत्यंत गरीब परिवार से तलूक रखने वाली गांव की लड़की अभी पुरे दुनिया में अपने हुनर से जाना जाने लगी है। अभी हाल ही में झारखण्ड सरकार ने दीपिका को ओलम्पिक में तीन गोल्ड मैडल हासिल करने पर पच्चास लाख का इनाम देने की घोषणा किया है। इस प्रकार से उनको अभी तक अनेको अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है।
दीपिका कुमारी की करियर और उप्लाधिंया :- दोस्तों हम आपको बता दे दीपिका कुमारी को अनेको अवार्ड और उपलब्धिया प्राप्त है। दीपिका को तीरंदाजी में पहला मौका 2005 में मिला जब वो पहली बार अर्जुन आर्चरी अकादमी ज्वाइन किया। यह अकादमी झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंड की पत्नी मीरा मुंडा ने खरसवं में शुरु की थी। तीरंदाजी में उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में हुए जब उनहनो tata तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन किया। वो यंहा तीरंदाजी के दांव पेच सीखे। इस युवा तीरंदाज ने 2006 में मैरिड मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैम्पियन में कमपयून्ड एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। ऐसा करने वाली वे दूसरी भारतीय थी। यंहा से शुरू हुए सफर ने उन्हें विश्व की नम्बर वन तीरंदाजी का पद हासिल कराया। सबसे पहले वार्ष 2009 में लगभग 15 साल की दीपिका ने अमेरिका में हुए ११वी यूथ आर्चरी चैम्पियनशिप जित कर अपनी अपनी पहचान बनायीं। फिर 2010 में एशियन गेम्स में कांस्य पद हासिल किए। इसके बाद कोम्मोंवेल्थ खेल में महिला एकल और टीम के साथ दो सवर्ण पद हासिल किये। रस्त्यामंडल खेल 2010 में उन्हें न सिर्फ बेक्तिगत सपरदा के स्वर्ण जीते बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया। भारतीय तीरंदाजी के इतिहास में वर्ष 2010 की जब -जब चर्चा होगी , इसे देश की रिकवर तीरंदाजी दीपिका के स्वर्णिम प्रदर्शन के लिए यद् किया जायेगा। फिर इस्तांबुल में 2011 में टॉकियो में 2012 में एकल खेलो में रजत पदक जीता। इस तरह एक एक करके वे जित पर जित हासिल करती गयी। इसलिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया। 2016 में राष्टपति प्रणब मुखर्जी ने दीपिका को पदम्श्री से सम्मानित किया। इस बार 2021 में टोकियो ओलम्पिक में हैट्रिक थ्री गोल्डन अवार्ड हासिल किया जिस इस जित से प्रभावित झारखण्ड मुख्यमंत्री ने उन्हें 50 लाख का इनाम देने की घोषणा किये। इस प्रकार से दीपिका ने अपने लाइफ में काफी सरे अवार्ड हासिल किये।
................................................................
Follow us on Given bellow links
YouTube | |
Website | |
Get Latest Technology Information | |
Govt. Vacancies Information |
thanx
ReplyDelete