Friday, 16 July 2021

बॉक्साइट नगरी लोहरदगा :-झारखण्ड की प्रमुख स्थलों में एक

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बॉक्साइट नगरी लोहरदगा :-झारखण्ड की प्रमुख स्थलों में एक 



.बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा झारखण्ड के बारे में आज मुझे कुछ लिखने का मौका मिला है।  मै अपने जिला का बारे में लिख रहा हूँ। यह मौका आज मुझे मिला की मै अपने जिला के बारे में लिखू। मुझे काफी खुशी हो रही है की मुझे अपने अपने जिला के बारे में लिखने के लिया मौका मिला है।  इस लेख में मै  इस जिले की इतिहास और प्रमुख धार्मिक स्थलों के बारे में बतायूँगा। 




दोस्तों आपको मेरा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करे अगर आपके पास कोई सुझाव है तो जरूर कमेंट करे।   लोहरदगा की इतिहास :- 1983 में रांची को विभाजित कर तीन जिले बनाये गए रांची , गुमला  और लोहरदगा। इस प्रकार से लोहरदगा जिला अस्तित्व में आया।  जिला का नामकरण लोहरदगा शहर के नाम पर किया गया , जो जिला का प्रशासनिक मुख्यालय बना।  सं 1972 में लोहरदगा को अनुमंडल एवं  1983 में जिला का रूप दिया गया।  जैन पुराणों के अनुसार भगवन महावीर ने लोहरदगा की यात्रा की थी।  जंहा पर भगवान महावीर रुके थे उस स्थान को लोर -ए -यादगा  के नाम से जाना जाता है ,जिसका मुंडारी में " आँसूवो की नदी ( River of Tear )" होता है।  सम्राट अकबर पर लिखी पुस्तक "आइने अकबरी " में भी " किस्मत -ए -लोहरदगा " का उल्लेख मिलता है।  लोहरदगा हिंदी के दो शब्दों "लोहार " जिसका अर्थ लोहे का व्यापारी और "दगा " जिसका अर्थ   केंद्र होता है अथार्त  लोहे खनिज का केंद्र होता है  HOME       ||  FACEBOOK        || WHATSAPP    ||  YOUTUBE            ||   WEBSITE           ।  


यह जिला झारखण्ड राज्य के दक्षिण पश्चिम भाग में  अवस्तित है जिसका अक्षांशीय विस्तार 23degree 30min. उतर से 23degree 40min. उतर तथ देशांतरीय विस्तार 84degree 40min. से 84degree 50min.  पूर्वी तक है।  छोटानागपुर पठार के जनजातीय बहुल क्षेत्र में 1491 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल  से आच्क्षादित है।  जिला छोटे छोटे पहाड़ो एवं जंगलो से घिरा हुआ है।  इसका सामान्य ढलान पश्चिम से पूर्वी की ओर है। दोस्तों मैं  आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।  कोयल ,शंख ,नंदिनी , चौपाट ,फुलझर अदि जिले के प्रमुख नदिया है।  ये सभी नदियाँ वर्षा आधारित है जो गर्मियों में सुख जाती है।  जिले के पहाड़ी पथ पर कुछ झरने भी दिखाए पड़ते है।  जिसमे प्रमुख है , धरधरिया , चितरी घाघ , 27no. पूल , बूढ़ा घाघ  आदि प्रमुख है।  भूगर्भीय दृष्टि से यह क्षेत्र आर्किचन ग्रेनाइट ( Archean Granite ) एवं गनिस के बिच मुख्या रूप लेटेराइट मिट्टी पाए जाती है जो प्लीस्टोसीन युग में निर्मित हुई है।  आधुनिक काल में नदी घाटी में एलुमिनियम  पाया जाता है।  बॉक्साइट जिले की प्रमुख खनिज है।  अन्य खनिज में फेल्सपार , फायरक्ले तथा चायनाक्ले है जो कम आर्थिक महत्व के है।  जिले का एक अधिकतर भाग ग्रेनाइट एलुमिनियम , लाल मिट्टी , बलुवा मिट्टी , लाल और बजरी मिटटी से आच्छदित  है।  कुछ भागो में लेटेराइट , लाल एवं पिली मिट्टी भी पाई  जाती है।  इस में सालो भर  स्वास्थ्य वर्धक एवं आरामदायक मौसम पाया  जाता है।  वार्षिक औसत तापमान 23degree तथा वार्षिक औसत वर्षा 1000 - 1200 मिली. होती है।  यंहा वर्षा पश्चिम से पूर्व की ओर  होती है।  इस जिले में आप सभी मौसम का आनंद  ले सकते है।  सभी मौसम समय से होती है और सभी मौसम के मीडियम लेवल पर रहती है इसलिए यंहा का मौसम हमेशा  अनुकूल रहता है।  इस जिले की खूबसूरती को बढ़ाने में रेल सेवा का महत्तपूर्ण  योगदान है।  यंहा रेल सेवा जिला के निर्माण से पहले से चल रही है जो काफी मात्रा में निकलने वाली बॉक्साइट को सप्लाई करने के लिया किया जाता रहा है। यंहा दो ट्रैन पहले चलती थी लेकिन अब यंहा तीन और उससेज्यादा  पांच ट्रैन चलती है। एक ट्रैन मॉल की ट्रांसपोर्ट के लिए और बाकि  सवारी ट्रैन है जिसमे लोग यात्रा करते है।  मै  आपको  दूँ  सभी ट्रैन झारखण्ड की राजधानी राँची  से कनेक्ट है।  दो ट्रैन  को चंदवा रेल लाइन से जोड़ा गया है जो यात्रयों को डायरेक्ट दूसरे राज्यों से कनेक्ट कराती है।  ऐसे तो रांची से भी दूसरे राज्य कनेक्ट होता है लेकिन दिल्ली और हरियाणा जैसे उतर के राज्यों के लिए चंदवा रेल लाइन काफी कम टाइम में पहुंचती है। दोस्तों आपको मेरा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करे अगर आपके पास कोई सुझाव है तो जरूर कमेंट करे।     

प्रमुख धार्मिक स्थल : - यंहा ऐसे तो काफी धार्मिक स्थल है जो जिले की शोभा को बढ़ावा देते है।  यंहा हर दिन लोगो का आना जाना बना रहता है लेकिन मैं इस लेख में सिर्फ उन धार्मिक स्थलों के बारे बे लिखने जा रहा हूँ  जो काफी ज्यादा प्रचलित है। 


अखिलेश्वर धाम : - दोस्तों हम आपको बता दे प्रमुख धार्मिक स्थल में अखिलेश्वर धाम एक है। अखिलेश्वर धाम एक धार्मिक स्थल है , जंहा हजारो की संख्या में लोग पूजा करने के लिए आते है।  यंहा श्रवण के महीने में और भी काफी लोगो का भीड़ देखने को मिलता है। इस  धाम में  काफी बड़ा चटान में एक भगवन शिव का मंदिर है जो चटान का सबसे पिक पॉइंट पर है इसी चटान से सटा एक तालाब भी है जो काफी गहरा और बड़ा है ,जिसके तीन ओर बड़े बड़े चटान घिरे है। 


दोस्तों मैं  आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।  इसमें एक मान्यता है की यंहा लोगो की सच्चे मन से मांगे गए सभी मन्नते  तुरंत ही पूरी हो जाती है।  यंहा की श्रवणी मेला (रथ मेला ) आस पास के क्षेत्र में बहुत प्रसिध्द है।  भगवन शिव के इस धाम की भौगोलिक संरचना एक तरफ चट्टान एवं एक तरफ विशाल तालाब से घिरा हुआ है।  इस दृश्य को देख कर मन को काफी शांति मिलती है।  ऐसी करना यह लोहरदगा के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह स्थल लोहरदगा जिला मुख्यालय से 21 किमी. की दुरी पर भंडरा प्रखंड में अवस्थित है। यंहा जाने के लिए आप किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग कर सकते है, आप चाहे तो भाड़े की वाहन से भी जा सकते है जो बहुत ही काम भाड़ा मात्र 20 रु में पहुंचा देगी आपको भंडरा तक उसके बाद आप पैदल 2 किमी की यात्रा करेंगे तो पहुँच जायेंगे या ,कोई भी वाहन ले  जा सकते है। 


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Wednesday, 14 July 2021

History of Google ( Beginning ): - आज मै आपको Google की starting इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ।

 History of Google ( Beginning ): - आज मै आपको Google की starting इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ।  



दोस्तों आपको तो भली भांति पता होगा की आज के दिन में गूगल का क्यां रोल है।  हम आपको बता दे की आज गूगल ब्राउज़र का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है। सबसे तेज ब्राउज़र ,और सबसे सेफ्टी के लिए फेमस है। आइए दोस्तों मैं आपको Google की starting इतिहास के बारे में बताता हूँ। 
Google की उत्पति " बैकरब " में हुई है ,एक शोध  जिसे 1996 में लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा शुरू किया गया था , जब वे दोनों स्टैनफोर्ड , कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र थे।  इस परियोजना में शुरू में एक अनौपचारिक "तीसरा संस्थापक ". स्टॉक हसन ,प्रमुख प्रोग्रामर शामिल थे , जिन्हनो मूल Google खोज इंजन के लिए बहुत सरे कोड लिखे थे , लेकिन Google  के आधिकारिक तौर पर एक कंपनी के रूप में स्थापित होने से पहले उन्होने छोड़ दिया , हसन ने रोबोटिक्स में अपना करियर बनाया और 2006  में कंपनी विलो गैराज की की स्थापना की। दोस्तों मैं  आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।    


एक शोध प्रबंध विषय की खोज में पेज अन्य बातो के आलावा वर्ल्ड वाइड वेब के गणितीय गुणों की खोज करने पर विचार कर रहा था।  इसकी लिंक संरचना को एक विशाल ग्राफ के रूप में समझ रहा था।  उनके पर्यवेक्षक , टेरि विनोग्राड ने उन्हें इस विचार को चुनने के लिए प्रोत्साहित किया ( जिसे बाद में पेज ने "मुझे मिली सबसे अच्छी सलाह " के रूप में यद् किया ) और पेज ने यह पता लगाने की समस्या पर ध्यान केन्द्रित  किया की कौन  से वेब पेज किसी दिए गए पेज से लिंक करते है , इस विचार के आधार ऐसे बैकलिंक्स की संख्या और प्रकृति उस पृष्ट के बारे में इम्पोटेंटस जानकारी थी।  पेज ने हसन को अपने विचार बताये , जिन्हे पेज के विचारो को लागु करने के लिए कोड लिखना शुरू किया।  शोध परियोजना को "बैकरब " उपनाम दिया गया था, इस प्रकार यह जल्द ही ब्रिन से जुड़ गया , जिसे राष्टीय विज्ञान  फाउंडेशन स्नातक फैलोशिप द्वारा समर्थित किया गया था।  दोनों की पहली मुलाकात 1995 की गर्मियों में हुए थी , जब पेज संभावित नए छात्रों के एक समूह का हिस्सा था ,जिसे ब्रिन ने स्वेच्छा से परिसर और पास के साइन फ्रांसिस्को का दौरा करने के लिए दिया था।  ब्रिन और पेज दोनों स्टैनफोर्ड डिजिटल लाइब्रेरी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।  एसडीएलपी का लक्ष्य "एकल , एकीकृत और सार्वभौमिक डिजिटल पुस्तकालय के लिए सक्षम प्रौद्योगिकियो  को विकसित करना " था और ऐसे अन्य संघिये एजेंसियों के बिच राष्टीय विज्ञानं फाउंडेशन के माध्यम से वित् पोषित किया गया था।  


पागेके वेब क्रॉलर ने मार्च 1996 में वेब की खोज शुरू की , जिसमे पेज का अपना स्टैनफोर्ड होम पेज एकमात्र शुरूआती बिंदु था।  किसी दिए गए वेब पेज के लिए एकत्र किये गए बैकलिंक देता को महत्व के माप  में बदलने के लिए , ब्रिन और पेज ने पेजरैंक एल्गोरिथम विकसित किया।  बैकरब के आउटपुट का विश्लेषण करते समय , जो किसी दिए गए url के लिए महत्व के आधार पर रैंक किये गए बैकलिंक्स की एक सूचि से युक्त तह , इस जोड़ी ने महसूस किया की पपेजरैंक पर आधारित एक खोज इंजन मोजोदा तकनीकों की तुलना में बेहतर परिणाम देगा ( उस समय के मौजूदा सर्च इंजन अनिवार्य रूप से परिणामो के अनुसार रैंक किये गए थे।  किसी पृष्ट पर खोज शब्द कितनी बार प्रदर्शित हुआ ). 
यह मानते हुए की अन्य अत्यधिक प्रासंगिक वेब पेजो से उनके लिए सबसे अधिक लिंक वाले पृष्ट खोज से जुड़े सबसे अधिक प्रासंगिक पृष्ट होने चाहिए ,पेज और ब्रिन ने अपने अध्ययन के हिस्से के रूप में अपनी थीसिस का परीक्षण किया और अपने खोज इंजन की नीव रखी।  Google का पहला संस्करण अगस्त 1996 में स्टैनफोर्ड के संपूर्ण नेटवर्क बैंडविड्थ का लगभग आधा उपयोग किया।  


स्टॉक हसन और एलन स्ट्रेमबर्ग को पेज और ब्रिन द्वारा Google के विकास के लिए महत्वपूर्ण होने के रूप में उत्पन किया गया था।  राजीव मोटवानी और तेरी विनोग्राद ने बाद में पेज और ब्रिन के साथ मिलकर प्रोजेक्ट के बारे में पहला पेपर लिखा , जिसमे पेजरैंक और 1998 में प्रकाशित गूगल सर्च इंजन के प्राम्भिक प्रोटोटाइप का वर्णन किया गया था।  हेक्टर गार्सिया - मोलिना और जेफ़  उलमैन को भी योगदानकर्ताओं के रूप में उत्पन किया गया था।  

पेजरैंक एक सामान पेज रैंकिंग और साइट -स्कोरिंग एल्गोरिथम से प्रभावित तह , जिसे पहले रैण्डेक्स के लिए इस्तेमाल किया गया था , जिसे 1996 में दायर पेजरैंक के लिए लैरी पेज के पेटेंट में ली के पहले के पेटेंट का एक उदाहरण शामिल है। बाद में ली ने 2000 में चीनी सर्च इंजन बैदु बनाया। 
मूल रूप से सर्च इंजन ने Google.stanford.edu  और z.stanford.edu  डोमेन के साथ स्टैनफोर्ड की वेबसाइट का इस्तेमाल किया।  डोमेन google.com 15 सितम्बर 1997 को पंजीकृत किया गया था।  उन्होने औचारिक रूप से अपनी कंपनी , Google को 4  सितम्बर  1998 को मेनलो पार्क , कैलिफोर्निया में आपने मित्र सीसँ वजसकी अंतत : Google में एक कार्यकारी बन गया और अब यूट्यूब में सीईओ है। 


ब्रिन और पेज दोनों एक खोज इंजन या विज्ञापन वित् पोषित खोज इंजन " मोडल में विज्ञापन पॉप आप का उपयोग करने के खिलाफ थे , और उन्होने 1998 में इस विषय पर एक शोध पत्र लिखा था , जबकि अभी भी छात्र है।  उन्होने जल्दी ही अपना विचार बदल दिया और सरल टेक्स्ट विज्ञापनों की अनुमति दी।  1998 के अंत तक Google के पास लगभग 60 मिलियन पृष्टो की अनुक्रमणिक थी।  होम पेज को अभी भी ' बीटा  " के रूप में पहचान किया गया था , लेकिन सैलून डॉट कॉम में एक लेख ने पहले ही तर्क दिया था की google के खोज परिणाम हॉटबॉट या एक्साइट डॉट कॉम जैसे प्रतियोगियों  की तुलना में बेहतर थे , और ओवर लोडेड पोर्टल साइट की तुलना में अधिक तकनिकी रूप से नविन होने के लिए इसकी प्रशंसा की ( जैसे yahoo! , Excite.com ,Lycos ,नेटस्केप',Netcenter ,AOL.com ,Go.com और MSN.com )  जो उस समय बढ़ते डॉट-कॉम के दौरान वेब के भविष्य के रूप में देखे जाते थे , विशेष रूप से शेयर बाजार के निवेशको द्वारा किया जाता था।  1999 की शुरुआत में ब्रिन और पेज ने फैसला किया की वे Google को एक्साइट के सीईओ जॉर्ज बेल के पास गए और उन्हें इसे $1 मिलियन में बेचने की पेशकश की।  उन्होंने प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया।  एक्साइट के वेंचर कैपिटलिस्टों में से एक विनोद खोसला ने दोनों के साथ 750000 डॉलर तक बात की लेकिन बेल ने फिर भी इसे अस्वीकार कर दिया।  
मार्च 1999 में कंपनी पालो ओल्टो में 165 उनिवेर्सिटी एवेन्यू में कार्यालयों में चली गई  , कई अन्य प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के घर।  दो अन्य साइट को तेजी से आगे बढ़ाने के बाद , कंपनी ने २००३ में सिलिकॉन ग्राफिक  से 1600 एम्फीथियेटर पार्कवे पर माउंटेन व्यू में इमारते के एक परिसर को पत्ते पर दिया।  कंपनी तब से इस स्थान पर बनी हुई  है और तब से यह परिसर Googleplex के रूप में जाना जाने लगा।  2006 में , Google ने SGI से US $19 मिलियन में खरीदी।  







दोस्तों मैं शहींद्र भगत आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे। 

Monday, 12 July 2021

whatsapp का इतिहास (2009 -2010 ): - दोस्तों आज मै आपको डेली यूज़ होने वाले एप्प व्हाट्सप्प का डेवलपमेंट और इसके इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ।

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 whatsapp का इतिहास (2009 -2010 ): - दोस्तों आज मै आपको डेली यूज़ होने वाले एप्प व्हाट्सप्प का डेवलपमेंट और इसके इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ। 



आज के दिन में whatsapp काफी ज्यादा प्रचलित हो गया।  आज के दिन में व्हाट्सप्प का प्रयोग हर प्रकार के डिजिटल वर्क में होता है।  massage ,video ,चैटिंग ,लाइव मीटिंग ,फाइल शेयर आदि अनेको प्रकार से व्हाट्सप्प का प्रयोग होता है।  दोस्तों मै आपको बता दूँ आज हर प्रकार के मोबाइल फ़ोन में व्हाट्सप्प को एक डिफ़ॉल्ट apps के तरह इन्क्लुडे किया जाता है। प्रत्येक लोगो के लिए आज व्हाट्सप्प एक जरूरत का apps  बन गया है।  

हमें व्हाट्सप्प के इतिहास के बारे में जानना चाहिए जिससे हमें अपना ज्ञान का बृद्धि करने में मदद मिलता है।  यह एक सामान्य स्टार्टअप की कहानी की तरह नहीं है ,इसके वजह से संस्थापकों को अपने कॉलेज से बहार होना पड़ा था।  संस्थाक ने एक टीम बनाये और फेसबुक या गूगल जैसी दिग्गज कंपनी से प्री -सीड फंडिंग प्राप्त की।  व्हाट्सप्प की अवधारणा कॉलेज के छात्रों द्वारा की गए थी जो अपने 30 

2009 -2014 :- व्हाट्सप्प की स्थापना ब्रायन एक्टन और याहू के पूर्व कर्मचारी जान कौम ने की थी।  जनवरी 2009 मआईफोन खरीदने और ऐप्प स्टोर पर ऐप्प  उद्योग की क्षमता को महसूस करने के बाद , कौम के दोस्त एलेक्स फिशमैन के पास एक नए प्रकार के मैसेंजिंग ऐप्प  पर चर्चा करना शुरू किया जो "व्यक्ति के बगल में स्थिति " को दिखाएग। लोगो के नाम उसने महसूस किया कि  इस विचार को और आगे ले जाने के लिए उन्हे एक iphone डेवलप की आवश्यकता होगी।  फिशमैन ने RentACoder.com का डिटेल्स लिया , रुसी डेवलपर इगोर सोलोमेनिकोव को पाया और उसे कौम से मिलवाया।  कौम ने ऐप को व्हाट्सप्प का नाम "व्हाटस  अप " जैसा ध्वनि देने के लिए रखा।  24 फ़रवरी 2009 को उसने कैलिफोर्निया में whatsApp Inc. को शामिल किया।  लेकिन , जब व्हाट्सप्प के शुरूआती संस्करण दुर्घटनाग्रस्त होते रहे , तो कौम ने हार मान ली और एक नए नौकरी की तलाश की।  एक्टन ने उन्हें कुछ महीने के लिए प्रतीक्षा करने के लिए प्रोत्साहित किया।  जून 2009 में एप्पल ने पुश नोटिफिकेशन लांच किया, जिससे उपयोगकर्ताओं को ऐप का उपयोग नहीं करने पर पिंग करने की अनुमति मिल गई।  कौम  ने व्हाट्सप्प को बदल दिया ताकि उपयोगकर्ता की स्थिति बदलने पर उपयोगकर्ता की नेटवर्क में सभी को सूचित किया जा सके।  व्हाट्सप्प 2. 0  को एक मैसेंजिंग घातक के  साथ जारी किया जा रहा था। 


 सक्रीय उपयोगकर्ता लोगो की संख्या अचानक बढ़कर 250,000 हो गई।  जबकि एक्टन एक और स्टार्टअप आईडिया पर काम कर रहे थे ,उन्होंने कंपनी में शामिल होने का फैसला किया।  अक्टूबर 2009 में , एक्टन ने याहू सीड फंडिग में $250000 निवेश करने के लिए और एक्टन एक सह -संस्थापक बन गया और उसे एक हिस्सेदारी दी गई।  वह आधिकारिक तौर पर 1 नवम्बर को व्हाट्सप्प से जुड़े।  बिता चरण में महीनो के बाद , नवम्बर 2009 में एप्लीकेशन लांच किया गया , विशेष रूप से iphone के लिए ऐप स्टोर पर किया।  इसके बाद कौम ने ब्लैकबेरी संस्करण विकसित करने के लिए लॉस एंजिल्स में एक दोस्त क्रिस पेयफर को काम पर रखा , जो दो महीने बाद आया इसके बाद मई 2010 में सिम्बियन ओएस के लिए व्हाट्सप्प और अगस्त 2010 में एंड्राइड ओएस के लिए जोड़ा गया।  2010 में व्हाट्सप्प 


इसके बाद , मई 2010 में सिम्बियन ओएस के लिए व्हाट्सप्प और अगस्त 2010 में एंड्राइड ओएस के लिए जोड़ा गाय।  2010 में व्हाट्सप्प  Google से कई अधिग्रहण प्रस्ताओं के अधीन किया गया था जिन्हे अस्वीकर कर दिया गया था।  उपयोगकर्ता को सत्यापन डिटेल्स भेजने की लगत को कवर करने के लिए , व्हाट्सप्प को एक मुकत सेवा से एक भुगतान सेवा में बदल दिया गया था।  दिसंबर 2009 में , आईओएस संस्करण में फोटो भेजने की क्षमता को जोड़ा गया था।  2011 की शुरुआत में , व्हाट्सप्प एप्पल के यूजर एप्प स्टोर के शीर्ष 20 एप्प में से एक था।  अप्रैल 2011 में , सिकोइया कैपिटल ने कंपनी के 15 %  से अधिक के लिए लगभग 8 मिलियन डॉलर का निवेश किया , सिकोइया पार्टनर जिम गोएट्ज द्वारा महीनो की बातचीत के बाद फरवरी 2013 तक , व्हाट्सप्प के लगभग २०० मिलियन एक्टिव यूजर और 50 कर्मचारी सदस्य थे।  सिकोइया ने और $50 मिलियन का निवेश किया और Whatsapp का मूल्य $1.5 बिलियन था।  2013 में कुछ समय ,व्हाट्सप्प ने सांता क्लारा आधारित स्टार्टअप , स्कएमोबियस ,वीटोक के डेवलपर्स एक वीडियो और वौइस् कालिंग एप्प  का अधिग्रहण किया।  दिसंबर 2013 में एक ब्लॉग पोस्ट में व्हाट्सप्प ने दवा किया की 400 मिलियन एक्टिव उपयोगकर्ता हर महीने इस सेवा का उपयोग करते है।  


1.5 अरब डॉलर के मुल्यांकन पर उद्यम पूंजी वित् पोषण दौर के टिक एक साल बाद 19 फ़रवरी 2014 को ,फेसबुक ने घोषणा की की वह 19 अरब अमेरिका  डॉलर में व्हाट्सप्प का अधिग्रहण कर रहा है , जो अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है।  उस समय , यह इतिहास में एक उद्यम समर्थित कंपनी  बड़ा अधिग्रहण था।  सिकोइया कैपिटल ने अपने प्रारम्भिक निवेश पर लगभग 5000 % रेतुर्न प्राप्त किया।  फेसबुक , जिसे एलान एन्ड कंपनी ने सलाह दी थी , ने व्हाट्सएप्प  संस्थापक कौम  और एक्टन को दी गयी प्रतिबंधित स्टॉक इकाइयों में $4 बिलियन नकद ,$12 बिलबिलन फेसबुक शेयरों में , और (मॉर्गन स्टेनली द्वारा सलाह दी दिया गया ) अतिरिक्त 3 बिलियन डॉलर का भुगतान किया।  कर्मचारी स्टॉक बंद होने के चार साल बाद निहित होना निर्धारित किया गया था।घोषणा के कुछ दिन बाद व्हाट्सप्प उपयोगकर्ताओं ने सेवा के नुकसान का अनुभव किया , जिससे सोशल मीडिया पर गुस्सा फुट पड़ा।  अधिग्रहण के कारण काफी संख्या में उपयोगकर्ता अन्य सन्देश सेवाओं की ओर प्रयास करने के लिए प्रेरित हुए।  टेलीग्राम  किया की उसने 8 मिलियन    2 मिलियन। फरवरी 2014 में बार्सिलोना में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में एक मुख्या प्रस्तुति में , फेसबुक के सीओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा की फेसबुक द्वारा व्हाट्सप्प का अधिग्रहण इंटरनेट टेकक्रंच के एक लेख ने जुकरबर्ग के दृष्टिकोण के बारे में यह कहा :  



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Saturday, 10 July 2021

POPULAR SOCIAL MEDIA FACEBOOK :- History of Facebook

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POPULAR  SOCIAL MEDIA FACEBOOK :- History of Facebook 

आज इंडिया में सोशल मीडिया का प्रयोग काफी ज्यादा किया जा रहा है।  उसमे से एक फेसबुक भी है ,जिसका उपयोग लोग नॉलेज ,एंटरटेनमेंट ,कॉमेडी ,और अनेको प्रकार से करते है।  लोग इस सोशल मीडिया में दिन भर ऑनलाइन पड़े रहते है चाहे एंटरटेनमेंट के लिए या अपनी काम से लेकिन दिन रात इसका उपयोग करते रहते है।  

फेसबुक एक समाजिक नेट्वर्किंग सेवा है जिसे 4 फरवरी 2004 को फेसबुक के रूप में शुरू किया गया था।  इसकी स्थापना मार्क जुकरबर्ग और कॉलेज के रूममेट्स और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथी छात्रों विशेष रूप से एडुआर्डो सेवरीन ,एंड्रयू मैककुलम ,डस्टिन मॉस्कोविट्ज और क्रिस  ह्यूजेस द्वारा की गयी थी।  वेबसाइट की सदस्यता शुरू में संस्थापकों द्वारा हार्वर्ड के छात्रों तक सिमित थी , लेकिन बोस्टन छेत्र के अन्य कॉलेज , आइवी लीग , और धीरे धीरे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के अधिकांश विश्वविद्यालयो , निगमों में इसका विस्तार किया गया।  सितम्बर 2006 तक 13 वर्ष और उससे अधिक उम्र की आवश्यकता के साथ एक वैध ईमेल पते वाले सभी लोगो के लिए कर दिया गया।  

जुकरबर्ग ने 2003 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान " फेस मैस " नाम से एक वेबसाइट बनाई।  साइट में 9 सदनों की ऑनलाइन फेस बुक से  तस्वीरें , एक समय में दो को एक दूसरे के  रखकर  उपयोगकर्ताओं को " हॉट टार " मैन चुनने के लिए कहा गया है।  फेस मैस ने अपने पहले चार गान्तो में 450  आगंतुकों और 22000 फोटो दृश्य को आकर्षित किया।  साइट को कई परिसर समूह सूचि में भेजा गया था।  लेकिन कुछ दिनों बाद हार्वर्ड प्रशासन द्वारा बंद कर दिया गया। जुकरबर्ग को निष्कासन का सामना करना पड़ा और उन पर सुरक्षा भांग करने , कॉपीराइट का उलंघन करने का आरोप लगाया गया।  बाद में आरोप हटा दिए गए।  जुकरबर्ग ने कला इतिहास की अंतिम परीक्षा से पहले एक सामाजिक अध्ययन उपकरण बनाकर इस सेमेस्टर का विस्तार किया। उन्हनो  सभी कला छवियों को एक वेबसाइट पर अपलोड किया , जिनमे से प्रत्येक के साथ एक टिप्पणी अनुभाग था।  फिर साइट को अपने साथियो के साथ साझा किया।  

जिसमे एक फेसबुक एक छात्र निर्देशिका है जिसमे फोटो और व्यक्तिगत जानकारी होती है।  2003 में , हार्वर्ड के पास निजी ऑनलाइन निर्देशिका के साथ केवल एक कागजी संस्करण तह।  जुकरबर्ग ने द  हार्वर्ड क्रिमसन को बताया , " हर कोई हार्वर्ड के भीतर एक सार्वभौमिक फेस बुक के बारे में बहुत बात सरे बात कर रहा है।  मुझे लगता है की यह गलत फेमि है की विश्व विद्यालय में आने में कुछ समय लगेगा।   मै इसे और बेहतर कर सकता हूँ।  जितना वे कर सकते है , और मै इसे एक सप्ताह में कर सकता हूँ।  जनवरी 2004 में , जुकरबर्ग ने फेस मैस के बारे में एक क्रिमसन संपादकीय से प्रेरित होकर , द  फेसबुक  के नाम से जनि जाने वाली एक नई  वेबसाइट को कोडित किया , जिसमे कहा गया , यह स्पष्ट है की प्रौदयोगिकी एक केंद्रीकृत वेबसाइट बनाने के लिए आवश्यक आसानी से उपलब्ध है ,  .इसके कई  लाभ है।  जुकरबर्ग ने हार्वर्ड के छात्र एडुआर्डो सेवरिन से मुलाकात की और उनमे से प्रत्येक साइट में $1000 का निवेश करने पर सहमत हुए।  4  फरवरी 2004 को , जुकरबर्ग ने " द  फेसबुक " लांच किया ,जो मूल रूप से Thefacebook.com पर स्थित है।  


इस प्रकार से फेसबुक अपने अस्तित्व में आया जिसका आज हम अपने दोस्तों को अपनी विचार ,फोटो ,फाइल , वीडियो,और अनेको प्रकार के सोशल मीडिया से रिलेटेड चीजों को शेयर कर पते है। 



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Wednesday, 7 July 2021

TOWER BRIDGE ( LONDON ) टावर ब्रिज बेहद खूबसूरत पूल: - टावर ब्रिज 

 


टावर ब्रिज : दोस्तों आज मैं लंदन की बेहत खूबसूरत स्थान बे बारे में बताने जा रहा हूँ।  इसके इमेज की को देख कर ही आप पता लगा सकते है , की वास्तव में इसका दृश्य किस प्रकार होगा या रियल में देखने पर कितना आनंद आता होगा।  तो चलिए जानते है इस ब्रिज की क्यां खास है जो लोगो को अपने ओर  आने के लिए आकर्षित करती है।                                        

Tower Bridge (London ): - टावर ब्रिज लन्दन शहर का  एक बिख्यात बस्क्युलर ब्रिज और सांस्कृतिक प्रतिक है।  यह ब्रिज पुरे दुनिया में अपने बनावट की वजह से बहुत ही फेमस स्थान में से एक है। 

ब्रिज का खासियत : - यह ब्रिज रोड मोटर गाड़ी , पैदल यात्री दोनों के लिए ट्रांसपोर्ट में मदद करती है।  यह ब्रिज थेम्स नदी में बनी हुयी है।  थेम्स नदी से यात्री को पार करती है।  इसका देख रेख करने के लिए ब्रिज हाउस एस्टेट्स बना हुआ है जो हमेश इसका देख रेख करर्ता है।  इस ब्रिज की लम्बाई 800 फिट ( 240 मीटर ), उचाई 213 फिट (65 मीटर ) है जो इसका दृश्य को काफी मनमोहक बनता है।  वास्तुकार होरेस जोन्स ने इसका निर्माण 21 जून 1886  में शुरू किया था और इसको पूरा बना कर 1894 में कम्पलीट किया।  इस ब्रिज को 30 जुन 1894 में खोला गया।  यह ब्रिज एक ग्रिड टावर है जो संयुक्त बेस्कुलर और सस्पेंस ब्रिज है , जिसे 1886 और 1894  के बिच बनाया गया था ,जिसे जॉन वोल्फ बैरी द्वारा इंजीनियर किया गया था। इसका अआर्किटेक्ट होरेस जोन्स ने किया था।  पूल लन्दन के टावर के करीब थेम्स नदी को पर करता है और ब्रिज हाउस एएसटेटस के स्वामित्व और रख रखाव के पांच लन्दन पूलो में से एक है , जो 1282 में स्थापित एक धर्माथर ट्रस्ट है।  पल का निर्माण लन्दन के पूर्वी छोर तक बेहतर पहुँच प्रदान करने के लिए किया गया था।  19वी  शताब्दी में अपनी व्यावसायिक  छमता का विस्तार किया था और इसे प्रिंस ऑफ़ वेल्स और डेनमार्क के एलेक्जेंडर द्वारा खोला गया।  

पूल की लम्बाई 800 फिट ( 240 मीटर ) है और इसमें 213 फिट ( 65 मीटर ) दो पूल टावर है जो ऊपरी स्तर पर दो छातिज रास्ते को जुड़े हुए है।  एक केंद्रीय जोड़ी बेस्कुलस है जो  शिपिंग की अनुमति देने के लिए खुल सकती है।  मूल रूप से हाइड्रोलिक रूप से चलने वाली आपरेटिंग तंत्र को 1972 में एलेक्ट्रो - हाड्रोलिक सिस्टम में बदल दिया गया था।  पूल लन्दन इनर रिंग रोड का हिस्सा है।  इस प्रकार लन्दन कंजेशन चार्ज जॉन की सिमा है और प्रत्येक दिन 40 ,000 क्रॉसिंग के साथ एक महत्वपूर्ण यातायात का मार्ग बना हुआ है।  पूल डेक वाहनों और पैदल यात्री दोनों के लिए स्वतंत्र रूप से सुलभ का साधन बना हुआ है।  पूल का जुड़वाँ टावर ,उच्च स्तरीये पैदल का मार्ग और विक्टोरियन इंजन कमरे टावर ब्रिज प्रदर्शनी का हिस्सा बना हुआ है।  


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Monday, 5 July 2021

भारतीय महिला तीरन्दाज़ी खिलाड़ी दीपिका कुमारी

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भारतीय महिला तीरन्दाज़ी खिलाड़ी दीपिका कुमारी

नमस्कार दोस्तों आज मै आपको झारखण्ड की मोस्ट वांटेड महिला के बारे में बताने जा रहा हूँ।  दोस्तों हम आपको बता दे इनका भी जीवन एक सिंपल झारखंडी जैसा ही था लेकिन इनके मेहनत और लगन से इनका लाइफ सीतले में अभी बहुत चेंज हो गया है। लाइफ काफी आरामदायक और सुविधा जानका हो गया है। 

दोस्तों हम जिस गर्ल्स की बात क्र रहे ह उनका नाम है दीपिका कुमारी चलिए इनके बारे में बिस्तर से जानते है। 

दीपिका कुमारी :- गोल्डन गर्ल्स के नाम से जाने जाने वाली  कुमारी महतो का जन्म तेरह जून ु 1994 को झारखण्ड के रांची ( रातू  गांव ) जिला में हुआ।  उनके पिता एक ऑटो चालक शिवनराण महतो और रांची कॉलेज में नर्स गीता महतो के घर में उनका जन्म हुआ।  बचपन से ही दीपिका अपने लक्ष्य  पर केंद्रित रही है।  दीपिका की माँ गीता बताती है की वो  बचपन में दीपिका एक दिन मेरे साथ जा रही रही थी की रस्ते में एक आम का पेड़ दिखा।  दीपिका ने कहा की वो आम तोड़ेगी।  मैंने उसे माना किया की आम बहुत ऊँची डाल  है ,नहीं तोड़ पायेगी ,तो उसने कहा , नहीं आज तो मै ऐसे तोड़ कर ही रहूँगी।   



उसने जमीन  से पत्थर उठा  कर निशान साधा।  पत्थर सीधे टहनी से टकराया और आम गिर।  दीपिका का वो निशान देख कर मुझे हैरानी हुयी . ठीक वैसे ही जीवन में भी  लक्ष्य बना लेती है उसे हासिल करके दिखती है।  जिस गांव में आज बिजली पानी की सप्लाई तक नहीं है , वंहा धनुर्बिद्या की दिशा  पकड़ने वाली दीपिका ने आज पुरे दुनिया को अपने हुनर को दिखा दी।  अत्यंत गरीब परिवार से तलूक रखने वाली गांव की लड़की अभी पुरे दुनिया में अपने हुनर से जाना जाने लगी है।  अभी हाल ही में झारखण्ड सरकार  ने दीपिका को ओलम्पिक में तीन गोल्ड मैडल हासिल करने पर पच्चास लाख का इनाम देने की घोषणा किया है।  इस प्रकार से उनको अभी तक अनेको अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है।  

दीपिका कुमारी की करियर और उप्लाधिंया :- दोस्तों हम आपको बता दे दीपिका कुमारी को अनेको अवार्ड और उपलब्धिया प्राप्त है।  दीपिका को तीरंदाजी में पहला मौका 2005 में मिला जब वो पहली बार अर्जुन आर्चरी अकादमी ज्वाइन किया।  यह अकादमी झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंड की पत्नी मीरा मुंडा ने खरसवं में शुरु  की थी।  तीरंदाजी में उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में हुए जब उनहनो tata तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन किया। वो यंहा तीरंदाजी के दांव पेच सीखे।  इस युवा तीरंदाज ने 2006  में  मैरिड मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैम्पियन में कमपयून्ड एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया।  ऐसा करने वाली वे दूसरी भारतीय थी।  यंहा से शुरू हुए सफर ने उन्हें विश्व की नम्बर वन तीरंदाजी का पद हासिल कराया। सबसे पहले वार्ष  2009 में लगभग 15 साल की दीपिका ने अमेरिका में हुए ११वी  यूथ आर्चरी चैम्पियनशिप जित कर अपनी अपनी पहचान बनायीं। फिर 2010  में एशियन गेम्स में कांस्य पद हासिल किए।  इसके बाद कोम्मोंवेल्थ खेल में महिला एकल और टीम के साथ दो सवर्ण पद हासिल किये।  रस्त्यामंडल खेल 2010 में उन्हें न सिर्फ बेक्तिगत सपरदा के स्वर्ण जीते बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया।  भारतीय तीरंदाजी के इतिहास में वर्ष 2010 की जब -जब चर्चा होगी , इसे देश की रिकवर  तीरंदाजी दीपिका के स्वर्णिम प्रदर्शन के लिए यद् किया जायेगा।  फिर इस्तांबुल में 2011  में टॉकियो में 2012  में एकल खेलो में रजत पदक जीता।  इस तरह एक एक करके वे जित पर जित हासिल करती गयी।  इसलिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया।  2016 में  राष्टपति प्रणब मुखर्जी ने दीपिका को पदम्श्री  से  सम्मानित किया।  इस बार 2021 में टोकियो ओलम्पिक में हैट्रिक थ्री गोल्डन अवार्ड हासिल किया जिस इस जित से प्रभावित झारखण्ड मुख्यमंत्री ने उन्हें 50 लाख का इनाम देने की घोषणा किये।  इस प्रकार से दीपिका ने अपने लाइफ में काफी सरे अवार्ड हासिल किये।  



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Saturday, 3 July 2021

आंजन धाम गुमला ,झारखण्ड ( माँ अंजनी देवी - भगवान् हनुमान जी का जन्म स्थल ) ,जाने क्यों अंजन धाम का गुफा का द्वार बंद है?

 आंजन धाम गुमला ,झारखण्ड ( माँ अंजनी देवी - भगवान्  हनुमान जी का जन्म स्थल ) ,जाने क्यों अंजन धाम का गुफा का द्वार बंद है?

latest technology दोस्तों मै अझ आपको भगवान हनुमान जी का जान सथल के बारे में कुछ इनफार्मेशन देने जा  रहा हू। मैं आपको बता दू भगवान हनुमान जी का जन्म स्थान हमारे पडोसी जिला गुमला के आंजन  नाम गॉंव में हुआ था। जो आज आंजन धाम के नाम से प्रसिद्ध है।  कहा जाता है की इस प्लेस का नाम भी माता अंजनी देवी के नाम से ही गाओं का नाम आंजन रखा गया और इस स्थान को आंजन धाम से जाना जाता है।  


आंजन : -  राम भक्त हनुमान अजर - अमर  है।  उनका नाम सप्त चिरंजीवियों में शामिल है।  देश दुनिया में उनके अनेको मंदिर है।  लेकिन हनुमान जी का जन्म स्थान झारखण्ड में एक गुफा में हुआ है माना जाता है।  जो गुमला जिला के आंजन गॉंव में है।  कहा जाता है इस जगह का नाम भी भगवान हनुमान जी के माँ श्रीमती अंजनी देवी के नाम से रखा गया है,, झारखण्ड में यह गुफा गुमला जिला से करीब २१ किलोमीटर्स  की दुरी पर है।  इसका नाम आंजन धाम है।  यंहा पहाड़ो और जंगलो के बिच एक गुफा जिसका संबंध रामायण काल से बताया जाता है।  यह भी माना जाता है की माँ अंजनी देवी यंहा रोज शिवजी का पूजन करने आती थी।  इसलिए यंहा ३६० शिवलिंग  है।  यंहा अनेक तालाब है जंहा माँ अंजनी स्नान करती थी।  अन्य कथाओ के अनुसार यह संत -ऋषियों की तपोस्थल है।  यंहा आंजन माता मंदिर बना हुआ है।  मंदिर के नीचे अत्यंत प्राचीन गुफा है।  इसे सर्प गुफा कहा जाता है। Realme C11 2021 || Buy Now दोस्तों मैं शहींद्र भगत आपसे मेरा फीडबैक जानना चाहता हूँ।  मेरा लेख पर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करे।    


आंजन गुफा के दवार के पास माँ अंजनी की प्रतिमा है।  यंहा हर समय पताका लहरती रहती है।  यंहा हर दिन हजारो की संख्या में भक्त गैन आते रहते है।  श्रद्धालु का मानना है की इस गुफा के अंदर एक रास्ता है।  यंहा से माँ अंजनी खटवा नदी तक जाती है और वंहा स्नान करती है।  कथा के अनुसार , एक बार यंहा के आदिवासीयो  ने माँ अंजनी को प्रसन  करने के लिए बकरे की बलि दे दी परन्तु इससे माता रुष्ट गयी।  इसके बाद माता ने गुफा का द्वार बंद कर दिया।  

देश में ऐसे अनेक तीर्थ है जंहा हनुमान जी का पूजन किया जाता ह।  

जय माँ अंजनी ,जय हनुमान भगवान

 

 

 

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